बदायूँ/उत्तर प्रदेश : जनपद बदायूँ में गंगा नदी है जहाँ ग्रामीण अंचल में कृषि एक प्रधान व्यवसाय है किन्तु लगातार रासायनिक खेती किये जाने से कृषि भूमि की उर्वरता एवं मृदा स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्परिणामों से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इस पृष्ठ भूमि को दृष्टिगत रखते हुए योजनान्तर्गत कृषि का मूल आधार स्वस्थ्य मृदा शुध्द जल एवं जैव विविधता को प्राथमिकता देते हुए जनपद में स्थित गंगा नदी के किनारे स्थित पाँच विकास खण्डो के विभिन्न ग्रामों की 1700 हे0 भूमि पर जैविक कृषि पद्धति अपनाकर गंगा नदी को रसायन प्रदूषण से मुक्त अथावा कम किया जाना लक्षित है, साथ ही साथ गंगा स्वस्थ अभियान में इस योजना के माध्यम से सहयोग एवं कृषको की आय दोगुनी की जा सके।
इस योजना अन्तर्गत गंगा नदी के किनारे स्थित कृषि भूमि पर रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु समूहों का गठन कर उनको तकनीकी सहायता प्रदान करते हुए कृषकों द्वारा उत्त्पादित फसलों का कृषि भूमि एवं जल का प्रमाणीकरण कराया गया है। इस योजना के अन्तर्गत पर्यावरण को स्वच्छ एवं प्राकृतिक सन्तुलन को कायम रखते हुए भूमि, जल, एवं वायु को प्रदूषित किये बिना ही दीर्घ कालीन एवं स्थित उत्पादन लक्षित है।

जैविक खेती का प्रभाव एवं जैविक परिणामः आधारित घरेलू संसाधनों के खेती अपनाने के बाद कृषकों द्वारा गौ प्रयोग से फसल लागत में लगभग 30-40 प्रतिशत तक कम हो जाने से आय में 15-20 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है । साथ ही साथ योजना के तृतीय वर्ष में कृषकों के खेतों की मृदा की संरचना में सकारात्मक सुधार एव केचुआ की संख्या एवं जीवाश्म कार्बन में वृद्धि एव हानिकारक रसायनों अवशेषों कमी परिलक्षित हुई उपलब्धियाँः जैविक खेती अपनाते हुए कृषकों द्वारा उत्पादित फसलों के विपणन एव विक्रय हेतु जनपद में कृषक उत्पाद संगठनों (एफ0पी0ओं0) के माध्यम से खुले बाजारों मण्डियों प्रदर्शिनियों एवं अन्य ऑनलाइन कम्पनियों में प्रारम्भ किया जा चुका हैं।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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