बदरी छाई है फागुन की,
फिर हुड़दंग मचाएंगे
एक रंग में सबको रंगकर
फिर से होली मनाएंगे।।

सब रंगों को मिला कर पानी में,
सतरंगी नदियां बहाई है
कर देंगे सबके चेहरों को लाल
होली की ऐसी खुमारी छायी है।

रूठा है कोई तो उसे मनाओ
आज तो सारी गलती भूल जाओ
लगा दो ये दोस्ती का रंग आज सब को यारों
होली मनाओ तो ऐसी मनाओ

दिलों को मिलाने का मौसम है
दूरीयां मिटाने का मौसम है
होली का त्यौहार ही ऐसा है
रंगों में डूब जाने का मौसम है

रास रचाये गौकुल में कन्हैया
होली में बन जाये रंग रसिया
सजाये रंगों का साज हर एक के द्वारे
आज भी गोपियांरंग लिए कान्हा की राह निहारे

पिचकारी की धार
गुलाल की बौछार
अपनों का प्यार
यही है यारों होली का त्यौहार

राधा के रंग और कन्हैया की पिचकारी,
प्यार के रंग से रंग दी दुनिया सारी,
ये रंग न जाने न कोई जात न कोई बोली,
मुबारक हो सबको रंगों की होली।

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