गर्मी के मौसम में फील्ड में काम करने वाले लोगों के लिए लू का खतरा बढ़ जाता है। यही नहीं तेज धूप के कारण सिर दर्द, चेहरा लाल होने का खतरा बना रहता है। इस मौसम में ठंडाई, ब्रह्मी, खस, नारंगी, नारियल का पानी, गन्ने का रस, नींबू का रस और आम का पन्ना काफी लाभदायक है। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, ककड़ी और खीरा भी फायदेमंद है। बाजारों में बिक रहे कोल्ड ड्रिंक से बचें। यदि होम्योपैथी उपचार से दिनचर्या शुरू किया जाए तो ऐसे मौसम में इससे अधिक से अधिक लाभ मिल सकता है।

कुशल होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अमोल गुप्ता ने बताया कि गर्मी के मौसम में लू का अधिक खतरा रहता है। इसलिए यदि कोई लू से पीडि़त हो तो उसे फौरन ठंडी व हवादार जगह पर लिटा देना चाहिए और कपड़े ढीले कर देने चाहिए। शरीर का तापमान यदि बढ़ गया हो तो बर्फ मिले ठंडे पानी की पट्टी सिर पर और ठंडे तौलिए से पूरे शरीर को पोंछते रहें। रोगी यदि बेहोश न हो तो उसे ठंडा सादा पानी, लस्सी, फलों का रस और सब्जियों का सूप दिया जा सकता है। लू से ग्रस्त व्यक्ति यदि बेहोश या उसके होंठ व हाथ पैर के नाखून पीले पडऩे लगे, सांस लेने में दिक्कत, नाक कान मुंह से खून निकले या देर तक पेशाब न आए तो ऐसी दशा में उसे शीघ्र डॉक्टर के पास ले जाएं। वहीं लू में विशेषकर बच्चों एवं बूढ़ों को बाहर निकलने से बचना चाहिए। गर्मी या तेज धूप में बाहर निकलते समय होम्योपैथिक दवा ग्लोनाइन की गोलियां ली जा सकती हैं। सिर दर्द, चेहरा लाल हो तो ‘बेलाडोना’ की गोलियां लें। उपरोक्त औषधियां चिकित्सक के परामर्शानुसार लें।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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