शिक्षा जगत, पत्रकारिता समाज सेवा ,तकनीकी जगत,एवं जीवन के सभी क्षेत्रों में अमिट छाप रखने वाले धर्मेन्द्र कुमार कसौधन का जन्म उत्तर प्रदेश के सुप्रसिद्ध जनपद महाराजगंज के मिठौरा क्षेत्र के ग्राम हरदी में 06 अगस्त सन 1991 में हुआ ।इनके पिता का नाम राम सवांरे कसौधन एवं माता का नाम चन्द्रावती देवी है।धर्मेन्द्र कसौधन जी के एक भाई एवं एक बड़ी बहन ममता है अर्थात कसौधन जी अपने माता पिता के तीन संतानो में सबसे छोटे और दुलारे बेटे है।पिता राम सवांरे की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण प्राइमरी में पांचवी पूरी होने से पहले ही पढ़ाई छोड़ दिये ।लेकिन माँ सरस्वती उनके जुबान पर रहती है,पढ़ाई में पिता कुछ नही कर पाए परन्तु एक प्रसिद्ध लोकगीत लेखक एवं गायक के साथ साथ कुशल कृषक भी है। माता गृहणी है।बचपन में कसौधन जी बड़े ही जिद्दी किस्म के व्यक्ति रहें जब रोने लगते थे तो माता पिता परेशान हो जाते,लेकिन रोते रोते थककर खुद ही चुप हो जाते थे।
बचपन मे शरारती प्रकृति के कसौधन जी को स्कूल जाने से डर लगता था और स्कूल नही जाते थे,सिर्फ खेलना शरारत करना ,खेल खेल में दूसरों को मार देना और खुद को भी चोट पहुँचा लेते थे।पिता खुद ज्यादा न पढ़ पाए लेकिन कसौधन जी को स्कूल भेजने के लिए विभिन्न बहाने से ‘खेत जाने को कहकर ले जाते थे,और जब कसौधन जी तैयार हो जाते थे तो खेत के रास्ते मे ही प्राथमिक विद्यालय पड़ता था,जब उन्हें मालूम पड़ता था कि वे खेत नही स्कूल जा रहे हैं तब वे रोना शुरू कर देते थे,और पिता तब उन्हें स्कूल तक घसीटते हुए लाते थे,और अधयापक के सामने खड़ा कर देते थे।कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा फिर माँ सरस्वती का आगमन मेरे मन मस्तिष्क में हुआ और नियमित विद्यालय जाने लगे।कक्षा 4 में पहाड़ा 30 तक एवं उत्तर प्रदेश के समस्त जिलों का नाम याद करने के कारण सहपाठियों के बीच दण्ड पाने से बच जाना अपने आप मे गर्व और खुशी महसूस होती थी।कक्षा 4 तक ही प्राथमिक विद्यालय हरदी में शिक्षा हुआ उसके बाद निजी स्कूल में बड़े भाई जितेंद्र कसौधन का दाखिला हुआ जिससे कसौधन जी भी निजी स्कूल में जाने की जिद करने लगे ,दोनो भाइयों को एक ही स्कूल में दाखिला मिला।कसौधन जी एवं उनके बड़े भाई जितेंद्र कसौधन गांव से 3 किमी दूर मिठौरा क्षेत्र के जमुइ पण्डित स्थित पंडित हरिशंकर तिवारी दिग्विजय नाथ इण्टर कालेज बरोहिया में कक्षा 5 में हुआ।
पहली बार प्राइमरी छोड़कर निजी में जाना कुछ अजीब,नए अनुसाशन में रहना अटपटा लगता था,फिर भी धीरे धीरे सब सही होता चला गया।पहले कुछ महीनों प्रतिदिन पैदल स्कूल जाना और आना होता था ,उसके बाद पिता ने एक टूटी सायकिल को मरम्मत कराकर दे दिया जिससे अब आप दोनो भाई स्कूल जाते और आते थे।उस समय बोरे का झोला लेकर स्कूल जाया करते थे।5वीं में अंग्रेजी दूबे नाम से प्रसिद्ध अध्यापक पढ़ाते थे।जब एकबार अंग्रेजी का शब्दार्थ पूछा गया तो कसौधन जी नही बता पाए और दंड स्वरूप 4 छड़ी मिला,जिससे सबक लेते हुए कसौधन जी अगली बार पूरा शब्दार्थ बता दिए और तभी से उन्होंने ठान लिया कि अब मार नही खाना है,और उसी दिशा में प्रयास शुरू कर दिए।कसौधन जी की रुचि बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में रही। जब वे 10 वर्ष के थे तब वे रेडियो को 220वोल्ट AC से जोड़कर चलाने का प्रयास किये तब रेडियो जल गया और पिता से डांट सुनने के साथ साथ पिटाई भी हुई थी।फिर भी कसौधन जी यह प्रयोग दो तीन बार किये और अंत मे उन्हें पिटाई और डांट के अलावा कुछ नही मिला।आगे कसौधन जी इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में थोडा बहुत सामानों को मरम्मत करते रहते थे, किसी में सफल और किसी में असफल हो जाते थे। जब मैट्रिक की पढ़ाई कर रहे थे तब उसी स्कूल के विज्ञान,गणित और अंग्रेजी के अध्यापक नरेंद्र यादव से₹180 प्रति माह के शुल्क पर गणित अंग्रेजी और विज्ञान का कोचिंग करना शुरू कर दिए ।सुबह 6 बजे सायकिल से कोचिंग जाते समय रास्ते मे शरारत करते हुए दूसरों के खतों से गन्ना तोड़कर खाते हुए जाया करते थे।मैट्रिक की परीक्षा में जिद यह था कि प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास करना है,और इसी लक्ष्य को मन मस्तिष्क में रखकर पढ़ाई किया करते थे,गांव के सहपाठी से इतना इर्ष्या था कि कही वो ज्यादा न पढ़ ले और मैं पीछे रह जाऊं, ईर्ष्या थी लेकिन किसी को नुकसान न पहुंचाने की नही बल्कि उससे आगे बढ़ जाने की।रात में पढ़ाई “दीया” और लालटेन से होती थी ,प्रतिस्पर्धा इतनी थी कि रात में उठकर ये देखने जाते थे कि कही उनका सहपाठी अभी तक पढ़ तो नही रहा है,और जब वो पढ़ता हुआ मिलता था,तब वे भी पढना शुरू कर देते थे,इसी तरह खूब जोरो से कॉम्पटीशन से पढ़ाई होती रही और बोर्ड परीक्षा जक वह समय सारिणी भी आई और कसौधन जी 2006 के माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के परीक्षा में उसी स्कूल में परीक्षा केंद्र में मैट्रिक की परीक्षा दी।और मई महीने के अंतिम सप्ताह में परिणाम आया और 367 अंक के साथ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। अपार खुशी के साथ सभी परिवार वालो को मिठाई खिलाकर मुँह मीठा कराये । अब कसौधन जी इंटरमीडिएट में नामांकन हेतु विज्ञान वर्ग चुना जो उनके स्कूल में नही था।अतः वे विज्ञान वर्ग से शिक्षा ग्रहण करने हेतु निचलौल क्षेत्र के बाली में स्थित राष्ट्रीय इंटरमीडिएट कालेज बाली में दाखिला लिया।बड़े भाई उस समय उसी कालेज में 12 में अध्धयन कर रहे थे।जो कुछ भी विज्ञान में पढ़ना होता था वो बड़े भाई उन्हें घर पर बताया करते थे,और इस तरह धीरे धीरे भौतिकी रासायनिक और जीव विज्ञान उन्हें समझ मे आने लगे।अंग्रेजी में रुचि बढ़ती गयी और गाइड के मदद से स्वंय अध्ययन करके व्याकरण की जानकारी एवं अनुवाद की जानकारी हासिल की। इंटरमीडिएट पढ़ाई के दौरान व्यक्तित्व कुछ खास नही रहा ,पतला दुबला शरीर लेकिन बड़े हट्टे कट्टे विद्यार्थियों से पढ़ाई के मामले में आगे रहने से सहपाठियों के बीच अपना सम्मान अलग था,वे सभी उनसे प्रभावित रहते थे विज्ञान में समीकरणों को संतुलित करना और बायोलॉजी में अंग्रेजी में अध्ययन करने के कारण संबंधित अध्यापक के प्रिय होते गये।और 12 वी में भी अध्ययन इसी प्रकार चलता रहा ,वो दिन भी आया सन 2008 का जब बोर्ड परीक्षा का केंद्र कसौधन जी के मैट्रिक वाले स्कूल में ही गया ,वहाँ उन्होंने परीक्षा दी।और पुनः जब परिणाम आया तो अंक के रूप में 316/500 प्राप्त हुए उस समय कसौधन जी के सहपाठियों में 255 छात्र छात्राएं असफल हुए थे।और कुछ ही विद्यर्थियों का अंक प्रथम श्रेणी में आया था।
स्नातक की पढ़ाई का दौर

स्नातक की पढ़ाई कसौधन जी विज्ञान वर्ग से करना चाहते थे किंतु बड़े भाई का दाखिला पहले ही हो चुका था जिससे विज्ञान वर्ग का शुल्क पिता नही दे पाए और कसौधन जी ने निचलौल क्षेत्र के दमकी स्थित सरस्वती देवी महाविद्यालय निचलौल में सन 2008 में बी ए में नामांकन अंग्रेजी ,भूगोल,और इतिहास विषयों के साथ हुआ।परन्तु परीक्षा फॉर्म भरने के समय महाविद्यालय में अंग्रेजी की मान्यता प्राप्त न होने के कारण उन्हें अंग्रेजी की जगह शिक्षाशास्त्र विषय लेना पड़ा ।जेब खर्च चलाने के लिए निचलौल क्षेत्र के सिधावें जयश्री में स्थित माध्यमिक विद्यालय में कुछ मामूली वेतन पर अंग्रेजी विषय को पढ़ाने हेतु अध्यापन कार्य शुरू कर दिए।मध्यांतर में कसौधन जी भूगोल विषय जो प्रयोगात्मक होने के कारण, की पढ़ाई करने हेतु महाविद्यालय सायकिल से जाते और क्लास अटेंड करके फिर स्कूल आते इस तरह कसौधन जी के पिता को विश्वास था कि उनका बेटा किसी भी वर्ग में प्रथम श्रेणी जरूर लाएगा।पिता के विश्वास को सर आँखों पर रखकर उन्होंने बी ए प्रथम वर्ष में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किये,वही द्वितीय वर्ष में भी प्रथम श्रेणी के साथ और तृतीय वर्ष में भूगोल विषय में प्रयोगात्मक हेतु शैक्षणिक भ्रमण पर नैनीताल, मसूरी,देहरादून व का भ्रमण किये और उत्तर भारत की भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन किये।स्नातक अंतिम वर्ष में शिक्षाशास्त्र और भूगोल विषय के साथ कसौधन जी 425 अंक प्रप्त कर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किये।इस तरह कसौधन जी स्नातक में कुल 1163 अंक प्राप्त कर 64 प्रतिशत के साथ उत्तीर्ण किए।
2011 में कसौधन जी की शादी निचलौल क्षेत्र के बुढाडीह कला में पूनम नामक लड़की से तय हुआ और 6 जून 2011 में शादी हुआ।इसके बाद कसौधन जी अध्यापन कार्य मे इन्होंने मिठौरा क्षेत्र के जमुई पंडित में एक माध्यमिक विद्यालय में अंग्रेजी विषय के अध्यापक रूप में कार्य करना शुरू किए। एक दिन स्कूल में ही एक पेपर में कंप्यूटर हार्डवेयर नेटवर्किंग कोर्स का विज्ञापन देखा,जैसा कि कसौधन जी की रुचि बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक में था इसी से प्रेरित उन्होंने उस कोर्स को करने का निश्चय कर लिए ,जिसमे कोर्स पर 5000 रुपये का मासिक खर्च पड़ रहा था, पिता की आर्थिक स्थिति खराब होने पर भी पिता ने उनकी पढ़ाई के इस इच्छा को सर आंखों पर रखकर उनका नामांकन गोरखपुर HP इंस्टिट्यूट में कोर्स इलेक्ट्रॉनिक ,और कंप्यूटर हार्डवेयर नेटवर्किंग के एकवर्षीय कोर्स में कराया।पिता पर से बोझ हल्का करने के लिए गोरखपुर में एक इलेक्ट्रॉनिक की दुकान पर कुछ दिन काम किया लेकिन कम ज्यादा और पैसे मात्र 1000 हजार रुपये दे रहे थे,काम कर रहे थे कि इंस्टिट्यूट में साथ मे अध्ययन कर रहे इरशाद और तनवीर नाम के इंजीनियर साथी ने अपने छोटे सेकंप्यूटर के दुकान पर सॉफ्टवेयर इंस्टालेशन और रिपेयरिंग के लिए कुछ 1000 रुपये पर रखे,चुकी जिस क्षेत्र की पढ़ाई कर रहा था उसमें प्रैक्टिकल के लिए मुझे सुनहरा मौका था जिसमे धन के साथ साथ पढ़ाई का तजुर्बा हासिल कर इंजिनीरिंग को और बेहतर बनाने का मौका मिला ।पढ़ाई के बाद 10 बजे वे कंप्यूटर की दुकान पर डयूटी करने चले जाते थे । कसौधन जी पत्रकारिता जगत में कार्य गोरखपुर से शरू किये जहाँ वे “समाज की आँखें” नामक हिंदी समाचार पत्र में प्रतिनिधि के रूप में कार्य करना शुरू किए और अपने अच्छे व प्रभावी लेख के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। HP इंस्टिट्यूट में अलग से DOEACC से भी फॉर्म भरवाकर परीक्षा भी कराया जाता था जसमे कसौधन जी ने परीक्षा दिया और A+ अंक प्राप्त कर DOEACC में इलेक्ट्रॉनिक और कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग में डिग्री A+ के साथ सफल हुआ।कोर्स के अंतिम पड़ाव में दिल्ली की एक कंपनी ने कैम्प्स सेलेक्शन की ,जिसमें करीब 60 इंजिनीरिंग छात्रों को दिल्ली में MedSave हेल्थकेयर कंपनी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत BPL कार्डधारियों के स्मार्टकार्ड बनाने में नौकरी जॉइन किये,जिसमें कंपनी ने अपना साइड बिहार राज्य के पश्चिमी चंपारण में भेजा, जहाँ पर कसौधन जी ने 2012 मार्च तक काम किये और फिर साइड से वापस आने पर कंपनी ने भारत के हरियाणा के झज्जर में साइड भेजा ,जहाँ कुछ महीनों तक कार्य किये और फिर साइड छत्तीसगढ़ के लिए भेजा गया जहां, पहले ही दिन साथियों के हुड़दंगी के वजह से छत्तीसगढ़ पुलिस ने सभी को उठा कर थाने ले गयी जहां, सीधे चेतावनी देकर छोड़ दिया गया,और नक्सली क्षेत्र होने के कारण अगले दिन कंपनी से साइड वापस लाने की बात कहा गया तो कंपनी ने सीधे बोल दिया जिन्हें काम करना है वह वहाँ रहें और जिन्हें नही करना है वो ऑफिस पर आ जाये ।नक्सलियों के खौफ के कारण अधिकार छात्र जॉब छोड़कर दिल्ली वापस आये जिसमे कसौधन जी भी वापस आये थे।उसके बाद से वहाँ कंपनी ने वापस आये हुए सभी लोगों से रिजाइन लेटर लिखाया ।इस तरह कसौधन जी अपने पैतृक गांव हरदी आ गए।और 2013 में कसौधन जी जमुई पण्डित के एक स्कूल में अंग्रेजी अध्यापक के रूप में अध्यापन कार्य करने लगे।अध्यापन के दौरान विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करना और पेपर देना लेकिन किस्मत और भाग्य ने साथ नही दिया,लेकिन हिम्मत नही हारे और यह काम करते रहे।इसी बीच कसौधन जी ने 2014 में निचलौल क्षेत्र के भेड़िया में स्थित जयप्रकाश इंटरमीडिएट कालेज में रसायन विज्ञान ,कंप्यूटर और अंग्रेजी विषय का अध्यापन कार्य किये,।2015 में कसौंधन जी की शादी की दूसरी रस्म 18 फरवरी को (गवना) हुआ। और और 02 नवम्बर को कसौधन जी को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ।वही लगभग दो वर्ष इण्टर कालेज में अध्यापन कार्य करने के बाद सन 2016 में निचलौल क्षेत्र के भेड़िया में स्थित शीला देवी महाविद्यालय भेड़िया में लिपिक पद पर कार्यरत हुए और साथ ही 2016 में CCC की डिग्री प्राप्ति के साथ दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उन्होंने राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय इलाहाबाद से सम्बद्ध कालेज महराजगंज में शिक्षाशास्त्र विषय से मास्टर ऑफ आर्ट में दाखिला लिया।और सन 2018 में उन्होंने मास्टर डिग्री 70 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण किये।कसौधन जी 2018 -19 में महर्षि दयानंद वोकेशनल इंस्टिट्यूट नई दिल्ली से “डिप्लोमा इन योगा टीचर”की उपाधि हासिल किए।
बहुआयामी शिक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान समिति में सचिव पद पर पदभार

 शीला देवी महाविद्यालय भेड़िया में कार्य करते हुए उन्हें रामलखन गुप्ता जो उन्हीं के कॉलेज में स्नातक तृतीय वर्ष का छात्र जिसने उन्हें बहुआयामी शिक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान समिति के बारे में बताया, शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने और रुचि होने के कारण कसौधन जी ने मई 2020 में बहुआयामी शिक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान समिति के महाराजगंज जनपद से सचिव पद पर पदभार ग्रहण किया।और संस्था में बढ़ चढ़ कर भाग लिए और संस्था को आगे बढ़ाने में अपना योगदान करते रहें।संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष के एम अमिश ,कसौधन जी के कार्यो ,लगन व जोश को देखते हुए अति शीघ्र ही उनकी पद बहाली करते हुए उन्हें मण्डल मीडिया प्रभारी बनाया गया।इसी बीच कसौधन जी को महाराष्ट्र न्यूज़ टेलीविजन के (MNT NEWS) के स्टेट ब्यूरो चीफ उत्तर प्रदेश हेमंत कुमार दूबे ने अपने न्यूज़ में मिठौरा ब्लॉक के रिपोर्टर के रूप में नियुक्त किया।कसौधन जी का पत्रकारिता में प्रदर्शन और कलम की ताकत आये दिन मजबूत होती गयी और वर्तमान में कसौधन जी MNT News के मंडल प्रभारी गोरखपुर के पद पर आसीन है। वही बहुआयामी संस्था ने इनके संस्था के प्रति जोश व उत्साह को देखकर उन्हें उत्तर प्रदेश उप मीडिया प्रभारी का पद  देते हुए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी।पद बहाली और के एम अमिष से प्रेरणा पाकर संस्था के कार्यो ,सभाएं एवं संस्था को तरक्की की राह पर ले जाने में अपना हर सम्भव प्रयास  करने में लगे रहे।इनके कार्यों से प्रभावित होकर संस्था ने इन्हें पुनः पद बहाली करते हुए उत्तर प्रदेश मीडिया प्रभारी के पद से सुशोभित किया।और वर्तमान समय मे कसौधन जी संस्था के प्रदेश मीडिया प्रभारी और संस्था के बहुआयामी समाचार के प्रदेश हेड मीडिया प्रभारी पर कार्यरत है।

वर्तमान में कसौधन जी पत्रकारिता एवं शिक्षा जगत में अपना कदम जमाये हुए है।निम्न संस्थाओं ने इन्हें पदभार दिया है-
1-शीला देवी महाविद्यालय भेड़िया (विभागाध्यक्ष-कला संकाय)
2-बहुआयामी शिक्षा तकनीकी एवं अनुसंधान समिति (प्रदेश मीडिया प्रभारी उत्तर प्रदेश)
3-बहुआयामी समाचार (प्रदेश मीडिया प्रभारी उत्तर प्रदेश)
4-महाराष्ट्र न्यूज़ टेलीविजन (MNT News)-(मण्डल प्रभारी गोरखपुर)
5-राष्ट्रीय युवा कसौधन वैश्य महासभा रजि.(प्रदेश मीडिया प्रभारी-उत्तर प्रदेश)
6-आल इंडिया मीडिया असोसिएशन(रिपोर्टर)
7-पब्लिक एप्प (पंजीकृत रिपोर्टर)

कसौधन जी आगे भी शिक्षा जगत और पत्रकारिता जगत एवं जीवन के विभिन्न क्षेत्रों को अपने हुनर काबिलियत और जज्बे से भविष्य में बहुआयामी दिशा देने का कार्य करते रहेंगे।

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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