देश में हर साल 33,000 बच्चे क्लब फुट की समस्या के साथ लेते हैं जन्म : डॉ.मनोज शुकुल।

आरबीएसके के तहत ऐसे बच्चों का होता है निःशुल्क इलाज।

संस्था अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लबफुट कर रही इलाज में सहयोग।

साल 2018 से अब तक कुल 1028 का सफल उपचार।

150 से अधिक चिकित्सक हुए प्रशिक्षित।

रोहित सेठ

लखनऊ, 10 दिसम्बर 2024 ।
गोसाईंगंज निवासी कमल और दुलारी के घर पांच साल पूर्व पहले बच्चे के रूप में जब सिद्धांशी का जन्म हुआ तो समूचे घर में खुशियां बिखर गईं लेकिन जब नर्स ने बताया कि नवजात के दोनों पैर मुड़े हुए हैं, कमल और दुलारी की खुशियों को ग्रहण लग गया। पूरा परिवार तमाम आशंकाओं से घिर गया। गोसाईंगंज सीएचसी के चिकित्सक ने परिवार को ढाढ़स बंधाते हुए बच्ची सिद्धांशी को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम के पास चेकअप के लिए भेजा। टीम के चिकित्सक ने बच्ची की जांच के बाद बताया कि सिद्धांशी पूर्णतया ठीक हो सकती है लेकिन उसका इलाज लंबा चलेगा। परिवार की सहमति के बाद उन्होंने बच्ची का संपर्क अनुष्का फाउंडेशन की टीम से करवाया। यहीं से शुरु हुआ सिद्धांशी के इलाज की यात्रा, आज पांच सालों बाद सिद्धांशी चलती क्या दौड़ती है। कमल और दुलारी भी बहुत खुश हैं, कहते हैं कि उसके इलाज में एक भी पैसा नहीं लगा। यह सरकार की बहुत ही अच्छी योजना है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी ————-बताते हैं कि क्लब फुट जन्मजात दोष है जिससे कि 800 नवजात में से एक प्रभावित होता है। देश में हर साल 33,000 बच्चे इस दोष के साथ पैदा होते हैं ।
प्रदेश में आरबीसके के साथ स्वयंसेवी संस्था अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लबफुट (एएफईसी), साल पिछले 2018 साल से काम कर रही है | अब तक क्लब फुट से पीड़ित 1028 बच्चों का सफल इलाज कर चुका है और वर्तमान में क्लब फुट से पीड़ित 13,000 बच्चों का इलाज च रहा है | अनुष्का फाउंडेशन, कोटक एसेट मैनेजमेंट के सीएसआर इनिशिएटिव के सहयोग से उत्तर प्रदेश के 45 जिलों, एसबीआई फाउंडेशन के सहयोग से 15 जिलों सहित कुल 75 जिलों में क्लबफुट का निःशुल्क इलाज कर रहा है।
एएफईसी के राज्य स्तरीय नोडल अधिकारी—– बताते हैं कि एएफईसी का अंतिम लक्ष्य साल 2030 तक क्लब फुट के साथ पैदा हुए 70 फीसद बच्चों को उपचार की प्रक्रिया में लाना है जिससे कि क्लब फुट से कोई भी बच्चा पीड़ित न रह सके | इसके साथ ही यह संस्था जिला अस्पतालों में आर्थोपेडिक चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाकर स्थानीय स्तर पर उपचार प्रदान करना है। जिसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले उपचार सुनिश्चित करने के लिए चिकित्सकों को पोंसेटी पद्धति में प्रशिक्षित किया जाता है। इसी क्रम में नवम्बर माह में प्रशिक्षकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें 16 जनपदों के 16 हड्डी रोग विशेषज्ञों ने प्रतिभाग किया था | साल 2018 से अब तक 150 से अधिक हड्डी रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
एएफईसी क्लबफुट और इसके उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आरबीएसके, आशा कार्यकर्ताओं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि के साथ मिलकर काम करता है। जिला अस्पतालों में साप्ताहिक क्लबफुट क्लीनिक के माध्यम से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाए जा रहे आरबीएसके कार्यक्रम के तहत क्लब फुट जैसे 42 जन्मजात दोषों का निःशुल्क इलाज किया जाता है।
क्यों होता है क्लब फुट ?
क्लब फुट क्यों होता है इसका कोई विशिष्ट कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान ड्रग्स का सेवन और धूम्रपान की वजह से नवजात में क्लब फुट जैसे जन्मजात दोष हो सकते हैं | इसके अलावा माँ बाप से जो जींस बच्चों में स्थानांतरित होते हैं उनमें से एक या अधिक जींस में समस्या होने से बच्चा क्लब फुट से ग्रसित हो सकता है | क्लबफुट वाले बच्चों को उचित उपचार के बिना स्थायी दिव्यांगता का सामना करना पड़ता है।

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