कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर वीणा गोपाल मिश्रा ने किया ।संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन श्रीमती अर्चना सिंह ,श्रीमती शिवांगी सक्सेना तथा श्रीमती विमलेश के सम्मिलित प्रयास से सम्पन्न हुआ तथा संचालिका का कार्य श्रीमती अर्चना सिंह ने किया ।ईश वन्दना तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो ..ध्वनि के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ तथा स्वागत गीत -मन की वीणा से गुंजित …बी ए.की छात्रा दिव्यांशी,राधिका ,स्तुति और श्रुति ने प्रस्तुत किया ।श्रीमती अर्चना सिंह ने वर्षा जल संरक्षण न होने से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को उजागर किया तथा उसके दोहन पर नियंत्रण की बात कही है ।छात्राएँ छवि शुक्ला ,गौसिया फ़ातिमा ,नेहा रस्तोगी ,रिचा मिश्रा ने भू जल संरक्षण पर विस्तृत व्याख्यान दिए ।जल संरक्षण की थीम -काली मेघा पानी तो बरसाओ पर लोकनृत्य -छवि शुक्ला ,आँचल जयसवाल ,मुस्कान गुप्ता ,आयुषी मिश्रा,पलक गुप्ता ने प्रस्तुत किया ।इस साप्ताहिक कार्यक्रम के उपलक्ष्य में महाविद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया ।इस अवसर पर ही प्रतियोगिताओं के विजेताओं का नाम भी घोषित किए गए ।निबंध प्रतियोगिता का निर्णय डॉक्टर प्रीति सिंह और डॉक्टर प्रियंका सिंह ने किया तथा पोस्टर प्रतियोगिता एवं स्लोगन प्रतियोगिता का निर्णय डॉक्टर सुशीला सिंह तथा डॉक्टर प्रियंका सिंह ने दिया । अध्यक्षीय उद्बोधन में प्राचार्य डॉक्टर वीणा गोपाल मिश्रा ने ,प्रतिभाग करने वाली समस्त छात्राओं का मनोबल बढ़ाते हुए भी उन्हें साधुवाद दिया ।भूजल की समस्या कैसे उत्पन्न हुई, क्यों हुई ,इस विषय पर छात्राओं से संवाद स्थापित किया ।आपने वैश्विक दृष्टिकोण अपनाते हुए सम्पूर्ण विश्व के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों एवं उपभोक्तावादी संस्कृति जैसे मुद्दों पर छात्राओं से परिचर्चा भी की ।आपने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के प्रसिद्ध उद्धरण प्रकृति मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है लेकिन उसके लालच को नहीं ..के माध्यम से प्रकृति को संरक्षित करने के लिए कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को जागरूक किया । कार्यक्रम में महाविद्यालय की अन्य सभी शिक्षिकाएं भी उपस्थित रही तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ।