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दिनांक 29-01-2022
(1)साहित्यकार डा0 विजयानन्द की कविता छपक छपक चली रेल पढ़ा, जिसमे वास्तविकता है दूर । केवल उज्वल पक्ष है दृष्टिगत। जनता कहती है रेल से हटे भ्रष्टाचार तो रेल पटरियां सोने की बनें। इसपर एक शब्द नही है।

(2) ब्रिटिश सरकार ने रेल का प्रसार अपने हित मे सत्ता को सुदृढ़ करने हेतु किया था। इसका लाभ हर एक ने लिया। राष्ट्र विकास हेतु रेल तथा सड़क परिवहन समानान्तर होने से कम लाभकारी होता है। अर्थ शास्त्र का क; ख, ग का जानकार भी यह जानता है। इसे जानते हुए भी अंग्रेजी सरकार ने इसका पालन नही किया।
(3) यही कारण है कि भारत के विभिन्न क्षेत्र विकास न कर सके।

(4) प्रारंभ मे निजी कंपनियों को सुनिश्चित लाभ की शासकीय गारंटी देकर रेल लाइन बिछवाई गई थी।
(5) स्वतंत्र भारत सरकार ने रेलों का राष्ट्रीय करण किया। उसके बाद रेलों के विकास को गति मिली। आब पुनः ग्रहण लगा है। भ्रष्टाचार को छूट देने वाले तथा वोट की लालच मे विपक्ष के प्रहार के भय से परिवहन व्यय की पूर्ति भी रेल टिकट से नही है।रेल का यात्री परिवहन घाटे मे है। माल परिवहन से प्रतिपूर्ति है। अत: निजीकरण की फांस बढ़ रही है। विपक्ष अपने पों पों से जनता को भ्रम मे रखता है।
(6) जल परिवहन सबसे सस्ता , उसके बाद रेल परिवहन तब , सड़क परिवहन , वायु परिवहन है। तब भी जल परिवहन तथा रेल परिवहन उपेक्षित है।
(7) भारत मे अटल बिहारी वाजपेयी के शासन मे जल परिवहन पर ध्यान दिया गया।
डा0 मुरलमनोहर जोशी ने अपूर्ण विकसित स्थिति मे प्रयागराज के छतनाग मे गंगा तट पर बंदरगाह का उद्घाटन किया।
(7) अटल बिहारी वाजपेयी के सत्ताच्युत होने के बाद योजना ठंडे बस्ते मे डाली गई।उस समय रूपये फलने वाले पेड़ नही थे।
(8) मेरे RTI आवेदन पर मनमोहन काल मे उत्तर था – जल परिवहन हेतु निजी सेवा प्रदाता मिले तो गंगा मे जल परिवहन हो। यह 100% झूठा उत्तर था। अपूर्ण विकसित स्थिति मे कौन निजी सेवा प्रदाता जल परिवहन सेवा दे सकता है।
(8) गंगा जी ने गंगापुत्र को आह्वान किया।नामआप स्वयम् लिखें। वाराणसी ने
प्रधानमंत्री देकर रूपया फलने वाले जंगल लगवाए। कोरोना का आक्रमण तथा सीमा पर युद्ध स्थिति , कश्मीर की समस्या के बाद भी हल्दिया से वाराणसी तक सीमित मात्रा मे जल परिवहन सेवा प्रारम्भ कराई। अभी बुल्डोजर उत्तर प्रदेश मे मंथर गति से चलता है। बिहार पश्चिम बंगाल मे बुल्डोजर है नही। जल परिवहन हेतु सुरक्षा की समुचित व्यवस्था के अभाव मे इसका सम्यक् प्रयोग करने मे उपभोक्ताओं मे भय है। सस्ते किराए के चक्कर मे अपना माल कौन लुटवाये?
(9) दंगाप्रेमी सत्ता पाएं तो चल रही जल सेवा भी अस्त हो जाए।

(10) प्रयागराज मे उद्घाटित बंदरगाह अभी भी प्रतीक्षारत है। दूसरे दलों के एजेंडा से जल परिवहन गधे की सींग की तरह गायब है।
(11) हांगहो नदी चीन मे शोक थी। साम्यवादी शासन ने हांगहो सहित सभी नदियों को वरदान बनाया ।विश्व मे सर्वाधिक बांध चीन मे निर्मित हैं।
(12) भारत तो सिन्धु समझौता सितम्बर 1960 के अनुसार अभी तक अपने हिस्से का भी जल उपयोग करने की क्षमता विकसित न कर सका।अपने हिस्से का भी जल यह से अबतक पाकिस्तान को दे रहा है । मोदी आए तो ध्यान इसपर गया है। समस्या है रूपया फलने वाले वृक्षों की कमी है। आम का टिकोरा लगने के पहले ही खोंचा डलिया सभी के तैयार रहते हैं।आम को पकने देने को कोई तैयार नही है।
(13) अत: सतलुज- यमुना सम्पर्क नहर पर पंजाब और हरियाणा परस्पर युद्धरत हैं।
उच्चतम न्यायालय के बाद भी विवाद यथावत् ही नही , विपरीत गति का है। पंजाब मे बनी नहर भी पाट दी गई। राजनैतिक गोबड़ौले मौन हैं । यह राष्ट्रीय हित है या राष्ट्र द्रोह? कोई गोबड़ौला कह नही सकता?

(14) कुर्सी मिले , राष्ट्र जाए पाताल मे –की राजनीति है।

विद्याधर पाण्डेय ,
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,शहीद भगत सिंह समाज कल्याण ट्रस्ट ,गाजियाबाद

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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