बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि भारत के बापू की हत्या भारत की मिट्टी पर ही पैदा हुए फर्जी देशभक्तों ने की और एक पिता तुल्य मार्गदर्शक खो दिया, जिस पर वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने अफसोस जताते हुए कहा था कि ” ब्रिटिश हुकूमत अपने काल पर्यंत इस कलंक से बच गई”!
ऐसा नृशंस कोई नरभक्षी या पशु भी नहीं करता, गांधी के विरोधी भी उनकी असाधारण प्रतिभा, ईमानदारी व सामाजिक एकता के सूत्र के कायल थे हर कोई उनकी इज्जत करता था देश की आजादी के पौधे को उन्होंने अपने खून से सींचा, परंतु कुछ लोगों को एकता, प्रेम और भारत की स्वतंत्रता से चिढ़ थी और गांधी के सपनों को धूमिल करने की सोच, जिसने अंततः उन्हें खत्म करने का दुस्साहस किया, गांधी का शरीर तो खत्म हो गया परंतु उनके विचार आज भी जीवित हैं और जब तक देश में एक भी गांधीवादी रहेगा देश में समानता, सद्भाव और आपसी प्रेम बना रहेगा तथा भेदभाव व अन्याय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी होते रहेंगे!
विडंबना की बात यह है कि आज भी गांधी के देश में उनके हत्यारों की विचारधारा का समर्थन करने वाले कुछ स्वार्थी तत्व विद्यमान हैं, जिन लोगों ने भारत के तिरंगे को भी अपनाने पर इनकार किया जिन पर प्रतिबंध तक लगाया गया परंतु वही लोग खुद को देशभक्त बताते नहीं थकते, जिन्होंने शुरुआत से ही गांधी का साथ दिया और आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान, उनकी देशभक्ति पर प्रश्नवाचक लगाकर उनकी आत्मा को ठेस पहुंचाना अच्छा नहीं!
10 वीं सदी से आज तक देश को सजाने सवारने, अनेकों नए शहर, खाद्य प्रसंस्करण, परिधान, भाषा मनोरंजन और वतन को वफा की मिसाल देने वाले लोगों को वोट के स्वार्थ में भयभीत करके उनके ही मुल्क के उनके साथियों से प्रेम और एकता की जड़ों को हिलाना देश हित में नहीं, जिस देश में अल्पसंख्यक भयभीत हो, भेदभाव हो, हिंसा हो, किसान को फसल का आवश्यक मूल्य, नौजवान को रोजगार, महिलाओं को सुरक्षा व सम्मान न मिले, भला वो देश तरक्की कैसे करेगा, कैसे विश्व गुरु बनेगा!
जिस देश ने विश्व को हजारों महान आत्माएं दी उसी देश में कुछ लोग दिन में तीन बार नए कपड़े पहने, झूठ बोलने, सरकारी खजाना लूटने, सरकारी मशीनरी व वस्तुओं का दुरुपयोग करने और समाज को बांटने में ही महानता समझते हैं!
जिस देश ने वीर अब्दुल हमीद जैसे सैनिक( सरकारी कर्मी) दिए उसी देश के कर्मचारी और अधिकारी नौकरी पाते ही अपने अधिकारों और कर्तव्यों को भूल कर सरकारी खजाना व जनता को लूटने तथा खुद को जनता का सेवक की बजाए शासक समझ बैठते हैं!
जिस देश में लाल बहादुर शास्त्री, अटल बिहारी बाजपेई, चौधरी चरण सिंह, जाकिर हुसैन आदि जैसे ईमानदार नेता और डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे ईमानदार शिक्षक, वैज्ञानिक, राष्ट्रपति दिए उसी देश के नेताओं ने राजनीति को व्यवसाय और राजनीतिक दलों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना दिया जिनका नारा सत्य और अहिंसा नहीं झूठ और हिंसा है जिनका मकसद सेवा नहीं शासन है, जो समाज को जोड़ने नहीं तोड़ने को ही अपना कर्तव्य समझते हैं जो सत्ता में मदहोश हैं उनकी आलोचना करना अपराध और तारीफ करना पुण्य है, ऐसे नेताओं को गांधी से सीखना चाहिए सिर्फ उनकी समाधि पर पुष्प अर्पित कर देने से नहीं उनके विचारों पर चलने से उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि मिलेगी!
देश के नौजवानो, कर्मचारियों, अधिकारियों, छात्रों, सन्यासियों और नेताओं को बापू के सपनों का भारत बनाने में अपना योगदान देने का संकल्प लेना चाहिए!
बापू के हत्यारों और उनका साथ व समर्थन देने वालों को भारत और भारत मां की संताने कभी माफ नहीं करेंगे!
जय हिंद, जय गाँधीवाद,
—- लेखक #मोबीनगाज़ीकस्तवी लेखक, शायर व कवि एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी AIGSF
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