नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को कहा है कि वह नई शिक्षा नीति के तहत पहली कक्षा में छह साल से अधिक आयु के बच्चों को ही दाखिला दें। मंत्रालय ने राज्यों को भेजे गए ताजा आदेश में शिक्षा नीति के प्रावधानों को दोहराते हुए सभी राज्यों से इस व्यवस्था को समान रूप से लागू करने को कहा है।पहले पांच साल की उम्र को पर्याप्त माना जाता था पूर्व के नियमों के तहत पहली कक्षा में दाखिले के लिए पांच साल की उम्र पूरी करना ही पर्याप्त माना जाता था। जबकि नई शिक्षा नीति के तहत केंद्र द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों आदि में छह साल की उम्र के प्रावधान का क्रियान्वयन शुरू हो चुका है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में मूलभूत चरण चरण में बच्चों की शिक्षा को मजबूत बनाने की सिफारिश करती है। इसमें सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच वर्ष सीखने के अवसर शामिल हैं। इस तरह यह नीति बच्चों के निर्बाध शिक्षण और विकास को प्रोत्साहित करती है।

स्कूल में दाख‍िले का नियम बदला! केंद्र सरकार के निर्देश- न्यूनतम छह साल की उम्र में हो कक्षा-1 में दाखिला

नई श‍िक्षा नीति (NEP) के तहत सरकार ने प्राथम‍िक श‍िक्षा में पॉलिसी लेवल पर कई बदलावों की बात की थी। एनईपी में आंगनबाड़ी और प्राथमिक स्कूलों का रोल स्पष्ट किया गया है। इसमें पहली कक्षा में दाख‍िले की उम्र छह साल तय करने की बात की गई है।नई श‍िक्षा नीति को देश भर में लागू करने के लिए केंद्रीय श‍िक्षा मंत्रालय समय समय पर पहल कर रहा है।

इसी क्रम में बुधवार 22 फरवरी को शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल तय करने का निर्देश दिया है।अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार, मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच साल के सीखने के अवसर शामिल हैं, जिसमें तीन साल की प्री स्कूल एजुकेशन और फिर कक्षा 1 और 2 शामिल हैं।

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