सदा-ए-मोबीन ❤️✍️.. आरक्षण
भारत का संविधान तीन प्रकार के न्याय की बात करता है जो उद्देशिका में स्पष्ट हैं!

इसी को दृष्टिगत रखते हुए जिनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति ठीक नहीं है उनको आरक्षण दिया गया है!

आरक्षण के बावजूद भी मुसलमानों की स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है, शिक्षा का स्तर भी ऊंचा नहीं उठ रहा है और विभिन्न सरकारी संस्थाओं व नौकरियों में भी संख्या आनुपातिक रूप से काफी कम है!

क्योंकि SC में मुसलमानों को रखा नहीं गया है और OBC में अधिक जातियां होने की वजह से इनका हिस्सा दूसरे खा जाते हैं!

इसलिए इन्हें या तो sc-st में शामिल किया जाए या अलग से अल्पसंख्यक आरक्षण दिया जाए!

देश की आबादी में 14% होने के बावजूद भी लोकसभा, विधानसभा व पंचायतों के साथ सरकारी नौकरियों में इनकी संख्या काफी कम है! साथ ही अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का भी यही हाल है! तो क्या इन्हें बराबरी पर लाने के लिए आरक्षण नहीं देना चाहिए? ताकि संसद और विधानमंडल में ये भी अपना उचित प्रतिनिधित्व कर सकें!

लिहाजा इन्हें बराबरी पर लाने के लिए लोकसभा, विधानसभा और पंचायतों व नगर पंचायतों /परिषद्/ निगम में आरक्षण के साथ सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थाओं आदि में इनकी आबादी के अनुपात में SC-ST की तर्ज पर आरक्षण देना चाहिए!

देश में अल्पसंख्यकों की आबादी के अनुपात में लोकसभा व केंद्र की नौकरियों में और जिस राज्य में जितना प्रतिशत है उस अनुपात में उस राज्य की विधानसभा, सरकारी नौकरी व संस्थाओं आदि में आरक्षण मिलना चाहिए!

यह सिर्फ राजनीतिक न्याय के ही सिद्धांत को मजबूत नहीं करेगा बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय के सिद्धांत को भी मजबूत करेगा!

अल्पसंख्यकों के उत्थान और बराबरी के लिए यह अत्यावश्यक है लिहाजा सरकार से हमारी अपील है कि अल्पसंख्यक आरक्षण बिल पारित करके आरक्षण सुनिश्चित करें!

यह अहम मुद्दा है इसलिए विपक्ष को भी इस मुद्दे पर आवाज उठाना चाहिए! तब होगी अल्पसंख्यकों की वास्तविक हमदर्दी और न्याय की बात!

— मोबीन गाज़ी कस्तवी
सामाजिक कार्यकर्ता
9455205870

By admin_kamish

बहुआयामी राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष

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