हार्ट अटैक के जोखिम कारकों के बारे में जानिए

चोट या कटने की स्थिति में रक्तस्राव के जोखिम से बचाने में ब्लड क्लॉटिंग की विशेष भूमिका होती है। समय पर रक्त के थक्के बनकर शरीर से अधिक रक्त निकलने से रोकने में मदद करते हैं। पर अगर यही थक्के धमनियों में बनने लग जाएं तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकती है। धमनियों में रक्त का थक्का बनने के कारण हृदय रोग (हार्ट अटैक) और स्ट्रोक का खतरा हो सकता है।

डॉ. राम निवास गुप्ता हॉस्पिटल के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अमोल गुप्ता बताते हैं, कुछ प्रकार की बीमारियों, आहार-लाइफस्टाइल में गड़बड़ी की स्थिति धमनियों में रक्त के थक्के बनने का कारण बन सकती है। सभी लोगों को इसके जोखिम कारकों के बारे में जरूर जानना चाहिए।

डॉ. अमोल बताते हैं, कुछ स्थितियां रक्त को तरल से जेल की संरचना में बदलने लग जाती हैं जो धमनियों में इकट्ठा होकर हृदय में रक्त के संचार को कम कर देती है, इस तरह की स्थिति हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, रक्त के थक्के बनने के अगर शुरुआती लक्षणों पर समय रहते ध्यान दे दिया जाए तो गंभीर स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकता है। आइए इसके कुछ लक्षणों के बारे में जानते हैं जिनपर सभी को ध्यान देते रहना जरूरी है।


रक्त का थक्का बनने की स्थिति –
रक्त का थक्का बनने की समस्या

डॉ. अमोल कहते हैं, रक्त का थक्का बनना शरीर में होने वाली स्वाभाविक प्रक्रिया है, रक्त का थक्का न बनना अधिक गंभीर माना जाता है, ऐसे में अधिक रक्तस्राव का खतरा हो सकता है। हालांकि अगर यह रक्त में पहुंचकर धमनियों में जमा होने लगे तो स्थिति जरूर गंभीर हो सकती है। यदि कोई थक्का आपकी नसों के माध्यम से हृदय या फेफड़ों में पहुंच जाए तो इससे रक्त प्रवाह बाधित हो सकती है, जिससे हार्ट अटैक-स्ट्रोक या अन्य गंभीर समस्या का जोखिम होता है। आइए जानते हैं कि किन लक्षणों के आधार पर इस तरह की समस्याओं की शुरुआत के बारे में जाना जा सकता है।

पैरों में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या –
पैरों-हाथों में दिखते हैं ऐसे लक्षण

मेडिकल रिपोर्ट्स बताते हैं, रक्त के थक्के बनने की स्थिति में हर बार लक्षणों को नजर आना जरूरी नहीं है। जिन धमनियों में थक्के बनते हैं, उससे संबंधित कुछ परेशानियां जरूर हो सकती है। इसमें डॉक्टरी मदद और जांच की आवश्यकता हो सकती है। कुछ लोगों में थक्के बनने की स्थिति में त्वचा पर इसके संकेत नजर आ सकते हैं, जिनपर गंभीरता से ध्यान देकर स्थिति की पहचान की जा सकती है।

हाथों-पैरों में इसके लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। हाथों-पैरों में बनने वाले थक्के की स्थिति में त्वचा के रंग में बदलाव, अंगों में सूजन और दर्द के साथ झनझनाहट हो सकती है।


ऐसे संकेत हो सकते हैं गंभीर

हृदय की धमनियों में रक्त के थक्के बनने की स्थिति को गंभीर माना जाता है, इसे कोरोनरी आर्टरी थ्रंबोसिस के नाम से जाना जाता है। इस स्थिति में हृदय में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है जिसके कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। हृदय में रक्त का थक्का बनने की स्थिति में सीने में तेज दर्द, चक्कर आने, सांस फूलने, पीठ-गर्दन और जबड़े में दर्द, बहुत ज़्यादा पसीना आने और हृदय गति बढ़ने की समस्या हो सकती है।

ब्लड क्लॉटिंग से बचाव के तरीके –

रक्त के थक्के बनने को कैसे रोकें?

होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. अमोल गुप्ता बताते हैं, कुछ बातों को ध्यान में रखकर ब्लड क्लॉटिंग को रोका जा सकता है। अध्ययनों में पाया गया है कि वजन बढ़ने, अधिक धूम्रपान के कारण रक्त के थक्के बनने की समस्या हो सकती है। अगर आप लंबी यात्रा कर रहे हैं तो हर दो से तीन घंटे में खड़े होकर थोड़ी दूर टहलें और अपने पैरों को स्ट्रेच करें।

कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करके और स्वस्थ आहार का सेवन करने के साथ – साथ नियमित व्यायाम रक्त के थक्के बनने की समस्या को रोकने में सहायक है।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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