रिपोर्ट: नसीम अहमद

स्योहारा ,नगर के समाजसेवी व उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा ने सावन माह के कावङ यात्रा पर बात करते हुए बताया कि हर साल हरिद्वार में लाखों की तादाद में कांवडिये सुदूर स्थानों से गंगा जल कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं इस यात्रा को कांवड़ यात्रा बोला जाता है श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ शिव का अभिषेक किया जाता है कहने को तो ये धार्मिक आयोजन भर है लेकिन इसके सामाजिक सरोकार भी हैं कांवड के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए हैं पानी आम आदमी के साथ साथ पेड पौधों, पशु पक्षियों धरती में निवास करने वाले हजारो लाखों तरह के पशु और समूचे पर्यावरण के लिए बेहद आवश्यक वस्तु है उन्होने बताया कि सावन माह में भगवान भोलेनाथ शिव की खूब कृपा बरसती है वैसे तो भोले भंडारी हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते है परन्तु सावन मे कृपा बढ़ जाती सावन माह मे भूखों को भोजन कराने से कभी अन्न की कमी नही होती भोले भंडारी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते वह हमेशा उनकी मनोकामना को पूरी करने में तत्पर रहते है जलाभिषेक वाले दिन श्रद्वालु मन्दिर के अन्दर ओर वाहर बङी तादाद मे कतार में लगे नजर आते हे जिले के मन्दिरो पर भोले बाबा की एक झलक पाने के लिए लोगों की कतारें लगी नजर आती हैं भक्तों की आस्था के सैलाव से शिवालयों में तांता लग जाता हे ओर बम बम भोले की बेला से वातावरण भक्तिमय हो जाता हे माना जाता हे कि भगवान परशुराम ने अपने आराध्य देव शिव के नियमित पूजन के लिए पुरा महादेव में मंदिर की स्थापना कर कांवड़ में गंगाजल से पूजन कर कांवड़ परंपरा की शुरुआत की जो आज भी देशभर में काफी प्रचलित है. कांवड़ की परंपरा चलाने वाले भगवान परशुराम की पूजा भी श्रावण मास में की जानी चाहिए भगवान भोलेनाथ शिव को श्रावण का सोमवार विशेष रूप से प्रिय है. श्रावण में भगवान आशुतोष का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करने से शीतलता मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *