फर्जी खबरें या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोग अब कानून के शिकंजे से बच नहीं पाएंगे। भारतीय दंड संहिता का स्थान लेने जा रहे भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 में ऐसे लोगों को तीन साल तक की जेल का प्रविधान किया गया है। शुक्रवार को लोकसभा में पेश यह विधेयक समीक्षा के लिए स्थायी समिति के पास भेजा गया है।
भारतीय न्याय संहिता विधेयक में ये है प्रावधान
देश की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरे में डालने वाली फर्जी खबर या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सरकार सख्त कानून बनाने जा रही है। विधेयक में कहा गया है अगर कोई व्यक्ति भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक खबर बनाता है या प्रकाशित करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल की सजा दी जाएगी। या फिर उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं।भारतीय न्याय संहिता, 2023 में आतंकवाद तथा संगठित गिरोहों द्वारा किए जाने वाले जघन्य अपराधों से निपटने के लिए भी कई विशेष प्रविधान किए गए हैं। मौजूदा कानून देश से भाग चुके भगोड़ों और विदेश में रहने वाले साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम नहीं हैं।
पुलिस को रहेगा ये अधिकार
नया विधेयक पुलिस को ऐसे भगोड़ों के खिलाफ मामला दर्ज करने, उनके कृत्यों के लिए दंडित करने और उनकी संलिप्तता के कारण प्राप्त वित्तीय लाभ की वसूली करने का अधिकार देगा। नए कानून के माध्यम से इन अपराधियों के सहयोगियों को भी न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। भारत के बाहर के लोगों द्वारा आतंकवादी कृत्यों और संगठित अपराध को बढ़ावा देना अब दंडनीय बना दिया गया है।
नए कानून के तहत ये है सजा
नए कानून के अनुसार, तीन या अधिक व्यक्तियों का समूह जो अकेले या सामूहिक रूप से गंभीर अपराधों को अंजाम देगा, उसे संगठित अपराध कहा जाएगा। यदि किसी गैरकानूनी कार्य के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रविधान किया गया है। अन्य मामलों में आपराधिक गिरोह के सदस्य के लिए न्यूनतम पांच साल की सजा (आजीवन कारावास तक बढ़ाई जा सकती है ) का प्रविधान किया गया है।