रिपोर्ट:गुरदीप सिंह

कानपुर देहात -संवाददाता/ गुरदीप सिंह/ जिलाधिकारी नेहा जैन ने बताया कि “नन्द बाबा दुग्ध मिशन” के अन्तर्गत गौवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार एवं दुग्ध उत्पादकता में वृद्धि हेतु”नन्दिनी कृषक समृद्धि योजना” सरकार द्वारा प्रदेश के दस मण्डल मुख्यालयों के जनपदो अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा एवं बरेली में संचालित की जायेगी।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में उच्च उत्पादन क्षमता के गोवंश का संवर्धन, पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी।
प्रदेश में पशुपालकों के लिए उच्च उत्पादन क्षमता के गोवंश की उपलब्धता सुनिश्चित करना ।
रोजगार के अवसर प्रदान करना।
पशुपालकों की आय को बढ़ाना।
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में प्रदेश में 25 दुधारू गाय की 35 इकाईयां स्थापित की जायेंगी।
10 दुधारू गायों में साहीवाल, गिर, थारपारकर एवं गंगातीरी प्रजाति की गाये ही सम्मिलित की जायेगी। परन्तु गंगातीरी नस्ल के गोपाली इकाईयों में अधिकतम पांच गंगातीरी गोवंश अनुमन्य होंगे। परियोजना के दो विकल्प होंगे।
(क) लागत रु. 62,50,000 साहीवाल अथवा गिर अथया थारपारकर नस्ल के 25 गोवंश हेतु रु.100000 प्रति गोवंश के आधार पर आगणन किया जायेगा।
(ख) लागत रु.61,00,000 साहीवाल अथवा गिर अथवा थारपारकर नस्ल के 20 गोवंश के साथ- साथ गंगातीरी नस्ल के अधिकतम 5 गोवा गंगातीरी गोवंश क्रय का मूल्य रु. 70,000 प्रतिगोवंश के आधार पर आगणित किया जाएगा तथा साहीवाल अथवा गिर अथवा थारपारकर नस्ल की गायों का आगणन रु.100000 प्रतिगोवंश के आधार पर किया जायेगा।
कुल अनुदान परियोजना लागत का 50 प्रतिशत देय होगा।
(क) रु. 31,25,000 (साहीवाल अथवा गिर अथवा थारपारकर नस्ल के 25 गोवंश इकाई के लिए।
(ख) रु.30,50,000 (सायास अथवा गिर अथवा धारपारकर नस्ल के 20 गौवंश के साथ-साथ
5 गंगातीरी नस्ल की गाय हेतु।
लाभार्थी की पात्रता-
लाभार्थी स्थानीय निवासी होना चाहिए।लाभार्थी का आधार कार्ड अथवा पहचान पत्र होना चाहिए। गोपालन अथया महिष पालन का कम से कम तीन वर्षों का अनुभव होना चाहिए तथा
इसका प्रमाण सम्बन्धित मुख्य पशु चिकित्साधिकारी द्वारा दिया गया हो।
इकाई स्थापना हेतु लगभग 0.5 एकड़ भूमि आवश्यक होगी। इसके अतिरिक्त लगभग 1.5 एकड़ की भूमि चारा उत्पादन हेतु स्वयं की अथवा पैतृक /साझेदारी अथवा न्यूनतम 07 वर्षों के लिए पंजीकृत अनुबंध पर भी गयी हो तथा भूमि परियोजना के अनुकूल (जलभराव इत्यादि से मुक्त हो। पूर्व में संचालित कामधेनु अथवा मिनी कामधेनु अथवा माइको कामधेनु योजना के लाभार्थियों को इस योजना का लाभ नहीं दिया जा सकेगा।

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