आज मौक़ा है इस शीर्षक के अन्तर्गत कुछ अतीत के वाक्यात पर भी नज़र डाल लिया जाए ।आज से लगभग 17 वर्ष पूर्व शुक्रवार के दिन मुफ़्ती मौलाना अब्दुल बातिन साहब ज्ञानबाफी मस्जिद में नमाज़ अदा कराने जारहे थे तभी चेकिंग पर तैनात एक पुलिस कर्मी ने अभद्रता करते हुए पीछे से कपड़ा खींच लिया इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू होगया उस समय मुसलमानों के साथ हिन्दू भी बड़ी तादाद में एकत्रित होगए पुलिस द्वारा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा और लगभग 14 हिन्दू-मुस्लिमानों पर झूठे मुक़दमात क़ायम किए। इनमें मुख्य रूप से शंकर गिरी,गुलशन कपूर, राजेन्द्र तिवारी, भानु मिश्रा आदि थे मुसलमानों में एजाज मोहम्मद, शेर अली,गुलशेर, शमशेर,जहांगीर आदि के विरुद्ध संगीन धाराओॅ में मुकदमा कायम हुआ। इन सब के मुकदमात की पैरवी का ज़िम्मा अंजुमन मसाजिद ने लिया और वकील के रूप में श्रीनाथ त्रिपाठी जी अभी तक पैरवी कर रहे हैं।17साल का अर्सा और इतने लॅगों की पैरवी अंजुमन मसाजिद अपने दम पर कर रही है।यह साझी विरासत की एक ज़िनदा मिसाल है।हर समाज में अच्छे बुरे होते हैं।लेकिन हमारा मानना है कि हमारे बनारस में अच्छों की तादाद ज़्यादा है ।तुक्ष राजनीतिक, आर्थिक स्वार्थ के लिए भेदभाव पैदा करने वाले कभी कामयाब नहीं होंगे, हमसब होने भी नहीं देंगे इसी उद्देश्य से अंजुमन मसाजिद काम कर रही है।लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया ।साझी विरासत का अदना सा सिपाही एस एम यासीन संयुक्त सचिव अंजुमन मसाजिद।

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