स्वस्थ तथा चिकित्सा जैसी समस्याओं पर भारत के अनेक सरकारी गैर सरकारी शोध संस्थानों के द्वारा समय-समय पर समस्याओं के समधन का वैज्ञानिक शोध को देखते हुए विभिन्न प्रकार के वेबीनार, सेमिनार, वर्कशॉप का आयोजन होता रहा है ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से स्वस्थ तथा चिकित्सा (कॉविड COVID19) जैसे क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने वाले एरा विश्वविद्यालय के बायो तकनीकी विभाग ने पुनः शोधकों की आवश्यकता को देखते हुए एकदिवसीय लिक्विड क्रोमेटोग्राफी मास स्पेक्ट्रोस्कॉपी एलसीएमएस LCMS वर्कशॉप का आयोजन सफलतापूर्वक किया है प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्कशॉप में भारत के अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों से शोधकों के द्वारा बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया जिसमें 10 ऐसे शोध छात्रों का चुनाव किया गया जिनको तकनीकी पर हैंड्स ऑन के माध्यम से सैंपल प्रिपरेशन तक से लगाकर क्वांटिफिकेशन तक की प्रक्रिया पूर्ण कराई गई प्राप्त जानकारी के लिए ऐसे शोधक जिन्होंने लेक्चर उपस्थिति के साथ-साथ में वर्कशॉप में पार्टिसिपेट किया उनको ड्यूल प्रमाण पत्र से भी सम्मानित किया गया है इस महत्वपूर्ण वर्कशॉप में एरा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर प्रोफेसर अब्बास सर के द्वारा बतलाया गया कि छात्रों शोधकों की आवश्यकता को देखते हुए समय-समय पर विभिन्न तकनीकियों पर वर्कशॉप सेमिनार, वेबीनार का आयोजन होते रहने चाहिए बतलाया कि चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग की जाने वाली तकनीकी की अवेलेबिलिटी एरा मेडिकल कॉलेज में उपलब्ध कराई जा रही हैं ऐसे में उन अनेक पीएचडी छात्रों का सीधे तौर पर शोध आसान हो रहा है जो सैंपलिंग के चलते बाहर के संस्थानों में महंगे सैंपलिंग प्रक्रिया होने में समस्याओं का सामना करते हैं
वहीं विभाग को बधाई देते हुए भविष्य में इसी प्रकार अन्य वर्कशॉप को आयोजन की शुभकामनाएं प्रेषित की वही एरा विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज प्रधान अध्यापक सर ज़माल मशूद जी के माध्यम से संपूर्ण भारत में तेजी के साथ फैल रही बीमारियों के आंकड़े डाटा सुझाए गए यह भी बताया गया कि इन बीमारियों का तकनीकी के माध्यम से कैसे आसानी के साथ समाधान किया जा सकता है डॉक्टर तकनीकी के माध्यम से सटीक बीमारी तक आसानी के साथ पहुंच पा रहे हैं वहीं इस वर्कशॉप में कई लेक्चर व साइंटिस्ट उपस्थित होने के साथ-साथ में लेक्चर व्याख्यान दिया जिसमें से
बताते चलें कि INSTEM आईएनएसटीआईएम बेंगलुरु से साइंटिस्ट प्रोफेसर डॉक्टर निपेंद्र सिंह के द्वारा LCMS तकनीकी मैं आने वाले चैलेंज्स को किस प्रकार से आसानी से हल किया जा सकता है का पूर्ण पीपीटी प्रेजेंटेशन दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया वही CCAMP सीसीएएमपी बेंगलुरु से सीनियर साइंटिस्ट डॉक्टर शादाब अहमद के द्वारा प्रयोग किए जाने वाले सैंपल से लगाकर आयनाइजेशन तथा क्वांटिफिकेशन से संबंधित प्रेजेंटेशन के माध्यम से व्याख्यान प्रस्तुत किया वहीं साइक्स SCIEX कंपनी की ओर से मिस्टर हिमांशु त्यागी के द्वारा आईसीएमएस लिक्विड क्रोमेटोग्राफी तकनीकी के कई प्रकार के वर्तमान समय में वर्जन बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें से उन्होंने बताया कि किस तरीके से सैंपल का क्वाडर्पोल वा फ्रेगमेंटेशन आइसोटोप को कंसीडर कराते हुए आसानी के साथ किया जा सकता है अनेक प्रकार की छोटी छोटी होने वाली गलतियां पर भी बात की वहीं छात्रों, शोधकों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का भलीभांति उत्तर दिया जिसमें उनके द्वारा यह बताया गया कि इस प्रकार की तकनीकी को किस प्रकार भौतिक व रसायनकी के फैक्टर प्रभावित कर सकते हैं वही इस इकदिवासी हैंड्स ऑन वर्कशॉप के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉक्टर मोहम्मद फहीम खान के द्वारा इस प्रकार की तकनीकी का भविष्य की उपलब्धता व मेडिकल में अति महत्वपूर्ण प्रयोग व शोध के स्तर को देखते हुए व्याख्यान देते हुए हाल में उपस्थित सभी प्रोफेसर शोधकों, छात्रों ऑर्गेनाइजेशन कमेटी की सराहना करते हुए शुभकामनाएं व धन्यवाद प्रेषित किया साथ ही साथ जुड़ने वाले सभी शोधन व छात्रों को हार्ड कॉपी में प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया अभी हाल में प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉक्टर फहीम के द्वारा फीडबैक फॉर्म भी अप्लाई किया गया था जिसमें अधिकतर अटेंडिंग फीडबैक में सुझाव देते हुए ए ग्रेड का भी दर्जा उपलब्ध कराया है।
अंत में बहुआयामी प्रकाशक कहना चाहेगा कि किसी भी देश की उन्नति प्रगति विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर निर्भर करती है वहीं सरकार को शोधकों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए समय-समय पर पॉलिसी बनाते रहना चाहिए इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए सभी कमिटी मेंबर्स को धन्यवाद आभार।