कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने पांडुलिपि संरक्षण प्रयोगशाला,आईकेएस केंद्र एवं परिसर का आकस्मिक निरीक्षण किया—-
रोहित सेठ
पांडुलिपियों से भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण एवं प्रसार जनोपयोगी होगा– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।
भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण, संवर्धन एवं प्रसार जनोपयोगी बने तभी दुर्लभ पांडुलिपियों में संरक्षित ज्ञान का महत्व होगा।ऋषि तुल्य आचार्यों के ज्ञान राशि के भंडार प्रयोग आमजन को प्राप्त हो इसी प्रयास का परिणाम राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के द्वारा यहां चल रहे पांडुलिपि के अनुरक्षण के कार्य सफल हों।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के परिसर स्थित ग्रंथालय के विस्तार-02 में अनुरक्षण के कार्यो का निरीक्षण करने संरक्षण प्रयोगशाला में पंहुचने के दौरान कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने व्यक्त किया।
पांडुलिपि संरक्षण प्रयोगशाला में अनुरक्षण कार्यों को परखा*l—
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने पांडुलिपि संरक्षण प्रयोगशाला में प्रत्येक टेबल पर चल रहे अनुरक्षण के कार्यो का सूक्ष्मता से निरीक्षण कर प्रत्येक विन्दु पर प्रयोगशाला इंस्ट्रक्टर से विस्तार से चर्चा कर भौतिक रूप से धरातल पर प्रगति और गुणवत्ता को परखा तथा उचित दिशा-निर्देश भी देते हुए कहा कि दुर्लभ पांडुलिपियों के सूचीकरण, कंजर्वेशन एवं डिजिटलाइजेशन का कार्य सुचारू रूप से किया जाय।
96 हजार दुर्लभ पांडुलिपियाँ संरक्षित हैं
ज्ञातव्य हो कि सरस्वती भवन पुस्तकालय में 96 हजार अति दुर्लभ पांडुलिपियाँ संरक्षित रखी हुई हैं, जिसके संरक्षण हेतु वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उपचार करने हेतु भारत सरकार के सहयोग से संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गांधी कला केंद्र, नई दिल्ली के उपक्रम राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन को 05 करोड़ रुपये की धनराशि की प्रथम किस्त जारी किया है।
भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र के माध्यम से वैश्विक पटल पर स्थापित होंगे—
कुलपति ने भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र में चल रहे अन्वेषण के कार्यो का निरीक्षण कर बताया कि इससे पांडुलिपियों पर विभिन्न शोध/अन्वेषण कर इसमे निहित ज्ञान राशि के तत्व निकलकर आयेंगे, इससे वैश्विक स्तर पर प्राच्यविद्या के धरोहर के बारे में सभी लोग परिचित हो सकेंगे।नई पीढ़ी को इससे वृहद लाभ प्राप्त होगा।
परिसर में स्वच्छता एवं पठन- पाठन के जमीनी हकीकत को परखा-
कुलपति प्रो शर्मा ने परिसर के विभिन्न विभागों के अध्ययन- अध्यापन एवं स्वच्छता के जमीनी हकीकत को परखा।उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण परिसर स्वच्छ रखें, यह यहां के सभी लोगों की जिम्मेदारी है, आज परिसर सुन्दर और स्वच्छ दिखाई दे रहा है।कुछ विंदुओ को फोकस कर और सुदृढ़ करने का निर्देश भी दिया।
शीघ्र ही नैक मूल्यांकन का निरीक्षण समिति का आगमन होना है, इसके पूर्व दिये गये दिशा निर्देशों के अनुरूप सब ठीक होना चाहिए।
उस दौरान कुलपति के साथ कुलसचिव राकेश कुमार, विज्ञान विभाग के प्रो जितेन्द्र कुमार, निदेशक प्रकाशन डॉ पद्माकर मिश्र, चीफ प्रॉक्टर प्रो दिनेश कुमार गर्ग, अभियंता राम विजय सिंह आदि उपस्थित थे।