रिपोर्ट:आसिफ रईस

बिजनौर। विलुप्त हो रही गौरेया को बिजनौर में संरक्षित किया जाएगा। इसके लिए इंदिरा पार्क में गौरेया कॉलोनी बसाने की तैयारी चल रही है। इस कड़ी में बुधवार को गौरेया प्रेमी और वन विभाग की टीम ने निरीक्षण कर संभावनाएं तलाशी।

इंदिरा पार्क बिजनौर का एक मात्र पार्क हैं, जो कई करोड़ की लागत से बनाया गया था। शुरूआत में पार्क की सुंदरता लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी। मगर, अब पार्क की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इसी वजह से अब पार्क का अस्तित्व बचाने के लिए वन विभाग यहां गौरेया कॉलोनी बसाने की तैयारी कर रहा हैं। यहां गौरेया का संरक्षण किया जाएगा।

इसके लिए गौरेया प्रेमी शेख फराज और नन्हें भैया स्योहारवी वन विभाग की टीम के साथ इंदिरा पार्क का निरीक्षण किया। एसडीओ ज्ञान सिंह ने बताया कि गौरेया को इंदिरा पार्क में लाने के लिए घोंसले, म्यूजिक आदि व्यवस्था की जाएगी। गौरेया कॉलोनी बसाने के पहले चरण में साफ-सफाई का कार्य किया जाएगा। ताकि पार्क की सुंदरता गौरेया को लुभा सके।

पार्क में ही गौरेया के लिए तैयार की जाएगी दूब घास और काई
गौरेया प्रेमी शेख फराज और नन्हें भैया का कहना है कि इंदिरा पार्क में गौरेया के लिए रहने की व्यवस्था तो की जा रही है, साथ ही उनके खानपान के लिए भी इंतजाम रहेंगे। इसके लिए पार्क में दूब घास उगाई जाएगी। साथ ही पार्क में काई भी रहेगी। क्योंकि दूब घास और काई गौरेया को बहुत पसंद है। गौरेया को पूरी तरह संरक्षित करने के लिए उनकी पसंद का प्राथमिकता पर ख्याल रखेंगे।

इंदिरा पार्क में झाड़ियां भी होंगी संरक्षित
डीएफओ अरुण कुमार सिंह ने बताया कि इंदिरा पार्क में गौरेया बसाने के लिए पेड़ों, झाड़ियों को नहीं काटा जाएगा। बल्कि संरक्षित किया जाएगा। क्योंकि झाड़ियाें में भी गौरेया का भोजन होता है। जबकि दो सफाईकर्मियों को पार्क की साफ-सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

शेख फराज के घर हजारों गौरेया संरक्षित
स्योहारा में गौरेया प्रेमी शेख फराज के घर हजारों गौरेया संरक्षित हैं। वे गौरेया को अपने परिवार ही ही हिस्सा मानते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तैनी हवेली में ही गौरेया के खाने और पानी की व्यवस्था भी कर रखी है। गौरेया को क्या पसंद है या क्या नहीं, शेख फराज यह भी बेहतर तरीके से समझते हैं।

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