रिपोर्टर रजनीश कुमार

विकासखंड अजीतमल के ग्राम पंचायत अमावता में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन आचार्य पंडित अनुज द्विवेदी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म और श्री कृष्ण की बाल्य लीला की कथा सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

कथा में परीक्षित बनी मिथिलेश द्विवेदी पत्नी स्वर्गीय चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने कथा का पूजन अर्चन कर कथा को श्रवण किया, 7 जून से चल रही भागवत कथा का विशाल भंडारा 15 जून को किया जाएगा।आचार्य ने बताया कि व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आचार्य ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
कथा व्यास आचार्य पंडित अनुज द्विवेदी ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।
श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को खिलौने और मिठाईयां बाटी गई। कथा महोत्सव में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भजन प्रदुम कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई।

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