रिपोर्ट_ मोहम्मद ज़ीशान तहसील प्रभारी धामपुर

शेरकोट/बिजनौर। जानकारी के अनुसार कस्बा शेरकोट निवासी आठ वर्षीय हमदान को डीएमडी (ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) बीमारी हो गई है।यह बीमारी बहुत ही दुर्लभ है। डीएमडी बीमारी होने के बाद से हमदान को चलने फिरने में दिक्कत हो रही है। वहीं, दूसरी ओर से परिवार भी महंगा इलाज कराने में असमर्थ है।
मोहल्ला मनिहारान निवासी शमशाद अहमद एक बेटा हमदान और दो छोटी बेटी हैं। मां फरहाना ने बताया कि हमदान पिछले दो साल से चलने फिरने में परेशानी हुई। बाद में परेशानी इतनी बढ़ गई कि वह अपने सहारे चल भी नहीं पाता। उन्होंने अपने बच्चों को मेरठ, दिल्ली, मुरादाबाद, ऋषिकेश आदि जगह दिखाया।
तमाम जांच करने के बाद चिकित्सकों ने बताया कि उनके बेटे को डीएमडी जैसा असाध्य रोग है। चिकित्सकों ने इसका इलाज 17 करोड़ का बताया है। इलाज की रकम सुनने के बाद परिवार वाले परेशान हैं। शमशाद अहमद दुबई में बढ़ई का काम करते हैं। मगर, उनकी तनख्वाह अधिक नहीं है, वह घर खर्च लायक ही कमा पाते हैं।
मामा सलमान कहते हैं कि हमदान कक्षा नर्सरी में पढ़ता था। परेशानी हुई तो पढ़ाई छूट गई। अब 17 करोड़ रुपयों की व्यवस्था कहां से करें। वर्तमान में हमदान का इलाज नजीबाबाद के एक होम्योपैथिक चिकित्सक के यहां चल रहा है।
ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी मांसपेशियों और वंशानुगत बीमारी है। इसमें पैरों और कूल्हे की मांसपेशियां कमजोर होती हैं। कुछ समय बाद पूरा शरीर इससे प्रभावित होता है। यह बीमारी ज्यादातर लड़कों में पाई जाती है।
डॉ. सुरेंद्र सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ, बिजनौर ने बताया की ये ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी बहुत ही दुर्लभ बीमारी है। विदेश में इसका इलाज संभव है। एडेनो वायरस वेक्टर संबंधित जीन थेरेपी (जोलगेस्मा) से इस बीमारी का इलाज है। इस थेरेपी में 15 से 25 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। –

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