अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के अवसर पर राजकीय महाविद्यालय आवास विकास में समाजशास्त्र विभाग के द्वारा “बदलते परिवेश में परिवारों की भूमिका” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डॉ डॉली ने किया तथा संचालन समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ बबिता यादव ने किया।

मुख्य वक्ता इतिहास असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ संजय कुमार ने कहा कि प्राचीन भारतीय सभ्यता संस्कृति की आधारशिला संयुक्त परिवार हुआ करते थे। बदलते सामाजिक परिवेश में अंधाधुंध नगरीकरण और रोजगार  की विवशता के कारण संयुक्त परिवार का स्थान एकाकी परिवार ने ले लिया है, जिसके कारण अबोध बच्चों के व्यक्तित्व का विकास बाधित हो रहा है।डॉ राकेश कुमार जायसवाल ने कहा कि संयुक्त परिवार व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। परिवार में व्याप्त सुरक्षा का वातावरण मनोबल आधार होता है और व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हुए जीवनयापन करता है।अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ डाली ने कहा कि वैयक्तिक और सामाजिक विघटन का प्रमुख कारण टूटते हुए संयुक्त परिवार हैं। उन्होंने कहा कि एकाकी परिवार ने व्यक्ति को अवसाद ग्रस्त बना दिया। अंग्रेजी विभाग की अध्यक्ष डॉ ज्योति विश्नोई कहा कि परिवार दिवस के अवसर पर हम सभी को टूटते हुए परिवारों को बचाने के लिए संकल्प लेना चाहिए।
इस अवसर पर डॉ सतीश सिंह यादव, डॉ प्रेमचन्द चौधरी,डॉ राजधारी यादव, मोनी कश्यप,एकता सक्सेना, बलराम यादव आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी (बरेली मंडल)

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