नई दिल्ली।नरेंद्र मोदी सरकार 2025 में लंबे समय से लंबित जनगणना शुरू करने जा रही है, जिसे 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। इसके बाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए राष्ट्रव्यापी परिसीमन प्रक्रिया होगी, जिसके 2028 तक समाप्त होने की उम्मीद है। हालांकि, अभी तक इस बात पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि सामान्य जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना भी की जाएगी या नहीं। यह घटनाक्रम कई विपक्षी दलों की ओर से जाति जनगणना की मांग के बीच सामने आया है। हालांकि, सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है और जनगणना प्रक्रिया का विवरण अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। आगामी जनगणना दौर में सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की गणना के साथ-साथ धर्म और सामाजिक वर्ग पर सामान्य सर्वेक्षण शामिल होने की उम्मीद है। 

विवरण से अवगत लोगों के अनुसार, सरकार ने अभी तक जाति जनगणना पर कोई निर्णय नहीं लिया है। देश की जनसंख्या का सारणीबद्ध करने की प्रक्रिया 2025 में शुरू होगी और 2026 तक समाप्त होने की उम्मीद है, जिसके बाद परिसीमन के माध्यम से लोकसभा के लिए निर्वाचन क्षेत्रों को बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। पिछली जनगणना 2011 में की गई थी, और अगले दौर की शुरुआत में 2021 के लिए योजना बनाई गई थी, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। जनगणना चक्र अब 10 साल के पैटर्न का पालन करने के लिए तैयार है, जो 2025 से 2035 तक और बाद में 2035 से 2045 तक चलेगा। रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त के कार्यालय ने जनगणना अभ्यास के दौरान नागरिकों से पूछे जाने वाले 31 प्रश्न तैयार किए थे। इन सवालों में यह भी शामिल है कि क्या घर का मुखिया अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से है और परिवार के अन्य सदस्य पिछली जनगणना में पूछे गए थे। 

सूत्रों की माने तो जनगणना और एनपीआर का काम अगले साल की शुरुआत में शुरू हो जाएगा और जनसंख्या के आंकड़े 2026 तक घोषित किए जाएंगे। इसके साथ ही जनगणना चक्र में बदलाव होने की संभावना है। इसलिए, यह 2025-2035 और फिर 2035-2045 और भविष्य में इसी तरह होगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन पर कोई भी निर्णय लेने से पहले इन सभी कारकों पर विचार करना होगा। जनगणना अभ्यास के तहत प्रत्येक परिवार से पूछे जाने वाले 31 सवालों में घर में सामान्य रूप से रहने वाले कुल व्यक्तियों की संख्या, क्या घर की मुखिया एक महिला है, घर के कब्जे में विशेष रूप से रहने वाले कमरों की संख्या, घर में रहने वाले विवाहित जोड़ों की संख्या आदि शामिल हैं।

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