वाराणसी आज दि0 29/11/24 को पुरानापुल पुल्कोहना स्थित ईदगाह में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी की सदारत में सदियों पुरानी पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज अदा की गयी । इस मौके पर सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिजी ने बताया की अगहन के इस पवित्र महीने में पूरा बुनकर समाज अगहनी जुमे की नमाज हर साल ईदगाह में अपना अपना कारोबार “मुर्री” बंद कर अदा करता है ये सिलसिला लगभग 460 साल पहले से चली आ रही है उस वक़्त देश के हालात ठीक नहीं थे किसान और बुनकर दोनो समाज के लोग परेशान और बदहाल थे बारिस न होने की वजह से किसान परेशान थे खेती नही हो रही थी देश में अकाल पड़ा था तब बुनकरो के कारोबार नही चल रहें थे तब बुनकर समाज के लोगो ने अपना अपना कारोबार बंद कर ईदगाह में इकठ्ठा हो कर अगहन के महीने में ईदगाह में नमाज़ अदा किया अल्लाह की बारगाह में हाथ फैला कर दुआ की और अल्लाह का करम हुआ और खूब जम कर बारिस हुयी किसानो में खुसी की लहर दौड़ गयी और उसके साथ साथ बुनकरों के कारोबार में भी तेजी आई । तभी से इस परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बायीसी निभा रही है । बनारस की दूसरी तंज़ीम बुनकर बिरादराना तनजी बावनी के सद्र हाजी मुख़्तार महतो साहब के लड़के फैसल महतो ने बताया की ये अगहनी जुमा की नमाज़ गंगा जमुनी तहजीब की एक जीता जागता सुबूत है सदियो पहले जब मुल्क के हालात ख़राब थे सभी वर्ग के लोग परेसान और बदहाल थे तब उस बदहाली और परेसानी को दूर करने के लिए बुनकर समाज के लोग अपने अपने मुर्री बंद कर ईदगाह में नमाज़ अदा कर दुआए की और उस दुआ को असर हुआ चारो तरफ खुशाली आई किसान और बुनकर दोनों के कारोबार में बरक्कत हुयी और ये परंपरा आज भी हम सब निभा रहे है । बुनकर बिरादराना तंजीम बारहों के सरदार हासिम अंसारी ने कहा की हमारे बुनकर समाज ने हमेशा गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेस की है बुनकारी के पेशे में हिंदू भाई और मुस्लिम भाई एक साथ मिल कर काम करते है और अगहनी जुमे में भी यही पैगाम देते है आज के दिन हमारे किसान भाई द्वारा उगाई गयी गन्ने को जिसकी दुकान हमारे हिन्दू भाई लगाते है उन तमाम दुकानो से मुसलमान भाई अगहनी जुमे की नमाज़ अदा कर दुकानों से गन्ना खरीद कर अपने अपने घर ले जाते है यही हमारा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब है । तक़रीर मौलाना जाहिर साहब ने की । तक़रीर में मौलाना साहब ने सभी से मिल्लत और भाई चारगि बनाने की अपील की और कहा की सभी लोग आपस में मोहब्बत रखिये मोहब्बत एक ऐसी चीज है जो सभी को एक धागे में पिरो कर एक साथ ले कर चलता है आज हम सब को इसी की जरुरत है । आज अगहनी जुमे की नमाज़ मौलाना जहिर साहब ने पढाई और नमाज़ के बाद दुआखानी कर मौलाना साहब ने मुल्की की तरक्की के लिए दुआये की । आपस में भाईचारगी बानी रहे उसके लिए दुआ की बुनकर भाइयो के कारोबार में बरक्कत के लिए दुआ की । मुल्क में सभी को रोजगार मिले उसके लिए दुआ की और हम सब को नेक राह पर चलने की दुआ की और हम सब को नमाज पढ़ने के लिए दुआ की सादगी से शादी हो बिना खर्च के शादी ब्याह हो उसके लिए दुआ की । आज जो घर घर में सभी लोग बीमार है उनकी बीमारी को दूर करने के लिए अल्लाह के बारगाह में हाथ फैला कर सभी ने दुआ की । इस अगहनी जुमा की नमाज में बुनकर बिरादराना तंजीम बायिसी । बावनो । चौतीसो । बारहों । पांचों की तंजीम के लोग अपने अपने काबीना के साथ सामिल हुए । अगहनी जुमे की नमाज में आए सभी हजरात का स्वागत पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने किया । आज अगहनी जूम की अजान मौलाना शाद साहब ने दिया अगहनी जुमे की नमाज में मौजूद पूर्व सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा । हैदर महतो । हासिम सरदार । हाजी बाबू । हाजी तुफैल । अफरोज अंसारी । पार्षद हाजी ओकास अंसारी । मौलाना शकील । पाचों तंजीम के सरदार अतिकुल्ला साहब । सरदार मो0 असलम चौदहो तंजीम । हाफिज नसीर । हाजी गुलाब । हाजी इस्तियाक । पार्षद गुलशन अली । पार्षद बेलाल अंसारी । हाजी मंजूर । पार्षद डा0 इम्तियाजुद्दीन । हाजी स्वालेह । बाबू महतो । समीम अंसारी । मो0 अहमद । हाजी महबूब अली । सरदार नसीर । हाजी मतिउल्ला । हाजी मुमताज । हाजी नईम । मो0 हारून । हाजी मोइनुद्दीन । हाजी बाबूलाल किंग । वाजीहुद्दीन । हाजी समसुद्दीन । हाजी नईम। आदि लोग मोजूद थे । सफाई व्यवस्था चेत्रीय पार्षद जितेंद्र कुशवाहा जी ने कराई