भगवान बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि उनकी महान जीवन यात्रा का प्रारम्भिक केन्द्र है – सांसद पाल

  • भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के 29 वर्ष व्यतीत किये और सत्य की खोज का संकल्प लिया।

सूरज गुप्ता
शोहरतगढ़़/सिद्धार्थनगर।

लोकसभा के शून्यकाल में सांसद जगदम्बिका पाल ने मंगलवार को कपिलवस्तु कॉरिडोर के विकास की मांग उठाते हुए कहा कि भगवान बुद्ध की जन्मस्थली कपिलवस्तु केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि उनकी महान जीवन यात्रा का प्रारम्भिक केन्द्र है। जहां उन्होंने अपने जीवन के 29 वर्ष व्यतीत किये और सत्य की खोज का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर को वैश्विक पहचान प्राप्त हुई है, उसी प्रकार कपिलवस्तु को भी एक महत्वपूर्ण बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध धरोहर के रूप में स्थापित करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जायें, जिससे न केवल भगवान बुद्ध की जन्मस्थली को सम्मान मिले, बल्कि यह वैश्विक बौद्ध अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में उभर सकें। उन्होंने कहा कि कपिलवस्तु में विश्वस्तरीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की जानी चाहिए, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर प्राप्त होंगे। इसके साथ ही ध्यान केन्द्र, संग्रहालय, शोध संस्थान और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से इसे वैश्विक बौद्ध अनुयायियों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र बनाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि कपिलवस्तु विकास प्राधिकरण की स्थापना की जाये और इसे सड़क, रेल और हवाई मार्ग से बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जायें, ताकि यह स्थान वैश्विक आध्यात्मिक मानचित्र पर अपनी उचित पहचान बना सकें। श्री पाल ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाएं पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत हैं और उनकी जन्मस्थली को उपेक्षित नहीं रहने दिया जा सकता, इसलिए सरकार को इसे प्राथमिकता देते हुए शीघ्र ठोस कदम उठाने चाहिए।

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