इसे खत्म करने के लिए सभी वर्गों को आवाज उठाना चाहिए, दहेज प्रतिषेध अधिनियम को धरातल पर निष्पक्ष और पारदर्शी रूप से लागू कराने के लिए सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए!
अफसोस इसे रोकने के लिए जिन लोगों को आगे आना चाहिए वही इसका प्रदर्शन कर रहे हैं या 2 दिन पहले ही सामान भरवाकर लड़के के घर पहुंचा देते हैं!
भारी भरकम बारात, बकरे का गोश्त, बुलट, कार के साथ जेवर, दान दक्षिणा आदि का बोझ इतना बढ़ता जा रहा है कि लड़कियां बोझ समझी जाने लगी हैं!
बराबर का रिश्ता न मिलने या पैसों का इंतजाम न होने या लड़की के भाई /बाप बाहर नौकर या बड़े व्यापारी, नेता, अधिकारी आदि हैं… तो किसी के घर कैसे जाएं सोचते हैं इज्जत कम हो जाएगी…. इन सब कारणों से लड़की /लड़का बूढ़े होते जाते हैं यानी 25 की उम्र पार कर जाते हैं और ज्यादातर बदचलन हो जाते हैं!… फोन पर चोरी छुपे बातें करने लगते हैं, भाग जाते हैं वगैरा-वगैरा तमाम हरकतें करते हैं!
इस्लाम में निकाह को बहुत आसान बनाया गया है!
जैसे ही लड़का /लड़की बालिग हो जाए तुरंत अपने कबीले में ही बिना किसी सौदेबाजी के निकाह कर देना चाहिए… दहेज के लालच में या किसी बड़े परिवार से शादी होने के लालच में विलंब नहीं करना चाहिए,… ज्यादातर पढ़े-लिखे लड़के/ लड़कियां यही सोच कर शादी बहुत देर में करते हैं, उन्हें जिस चीज का विरोध करना चाहिए उसी का लालच पाले रहते हैं …और लालच में किया गया निकाह ठीक नहीं, जब निकाह ही ठीक नहीं है तो औलादें भी गड़बड़ ही पैदा होती हैं, दिखने में तो भले ही खूबसूरत हो लेकिन अंदर से बत्तमीज ही होंगी!….. लड़की वाले को कोई खास इंतजाम नहीं हैसियत के हिसाब से अधिकतम 50 लोगों के खाने का इंतजाम करना चाहिए…. लड़का वाला किसी तरह का कोई दहेज ना मांगे, अपने घर वलीमा करे, जो मिल जाए बिना कमी निकाले रख ले!
इससे समाज से बदचलनी की गंदगी खत्म होगी, लड़का/ लड़कियां बूढ़ी नहीं होंगी!… दहेज आदि के लालच में शादी में विलंब नहीं होगा!
शादी तय करते समय गरीब परिवारों को प्राथमिकता देना चाहिए… ताकि सबको बराबर रखने की इस्लाम की मूल भावना को विकसित किया जा सके!
तमाम कुरीतियों को खत्म करने के लिए उलमा भी एकजुट हों और सौदेबाजी करने वाले लोगों को चिन्हित कर सोशल बॉयकॉट करें!
उनके नाम की लिस्ट सार्वजनिक कर देना चाहिए कि फलां आदमी बुलट मांग रहा है, फला आदमी 400 बराती लाने की बात कह रहा है, फ़ला आदमी ने खाने पीने में कमी निकाली, फला आदमी ने डबल बेड मांगा, फ़ला आदमी ने अपनी बीवी को छोड़ दिया, फ़ला आदमी ने किसी के बीच लड़ाई लगा दी, फला आदमी ठग है, फला आदमी चोर है, फ़ला आदमी धोखेबाज है वगैरा वगैरा… ताकि इन कुरीतियों को खत्म करने में आसानी हो और ऐसे लोगों पर कानूनी कार्रवाई भी करना चाहिए!
अगर समाज के सभी पढ़े लिखे, समझदार और अच्छे व्यक्ति इस समाज सुधार आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लें तो बहुत जल्द समाज खुशहाली, मोहब्बत और तरक्की की राह पर चल पड़ेगा जो आने वाली पीढ़ी के लिए सुखद होगा!
हर हाल में इंसानियत के तकाजे पर खरा उतरें और यह समझ कर रहें कि कुछ भी हमारा नहीं है बीवी, औलाद, धन दौलत सब इस दुनिया की सजावट हैं जो हमें परीक्षा के लिए मिली है, अगर हम इनके प्रति अच्छा व्यवहार करेंगे और यह समझेंगे कि यह केवल प्रश्नपत्र है तो जन्नत में पहुंच जाएंगे यदि इसे ही जन्नत समझ लेंगे तो यह तो कागज है जो हमे जन्नत से दूर कर देगा!
जिस चीज का चर्चा ज्यादा होता है वह बढ़ती है अगर अच्छाई का चर्चा करेंगे, अच्छे लोगों का सम्मान करेंगे, उनकी तारीफ और समर्थन करेंगे तो अच्छाई बढ़ेगी और हर आदमी अच्छा बनना चाहेगा!
अफसोस निम्न स्तर के लोग बदमाश की चर्चा करते हैं, तारीफ करते हैं ऐसे आदमी की जिसने खूब माल काटा है, पैसा कमाया है, मकान गाड़ी बनाया है,.. छल कपट पैसा बांट कर चुनाव जीत गया ….जो आदमी पैसे का लोभी होता है वह कभी सामाजिक और वफादार नहीं हो सकता….. हर आदमी उसी की तरह पैसा कमाना चाहता है इसीलिए आज हर तरफ पैसा वाला बनने की होड़ है…. काम चाहे जो करना पड़े, चाहे जितनी मिलावटखोरी, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी, बेईमानी करना पड़े…!
इन सब सामाजिक कुरीतियों और सोच को खत्म कर पूरी तरह से धर्म पर चलने की कोशिश करें जिसकी बुनियाद मोहब्बत, मदद और सहानुभूति है!
भारतीय समाज को समर्पित!
— लेखक– आपका भाई/दोस्त मोबीन गाज़ी कस्तवी
9455205870