अजीतमल — क्षेत्र के गांव मौहारी में शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथा प्रवक्ता जगद्गुरु निंबार्काचार्य श्री श्रीजी महाराज के परम प्रिय शिष्य श्री सर्वेश्वर शरण जी ने उक्त उद्गार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा भगवान का साक्षात्कार करने के लिए बाहरी सुंदरता की आवश्यकता नहीं है। हमारे हृदय का भाव जितना पवित्र होगा ,आचरण जितना अच्छा होगा एवं दीन, दुखी, अभावग्रस्त लोगों की सेवा करने का भाव जिस ह्रदय में होगा उस व्यक्ति पर परमात्मा बहुत जल्द कृपा करते हैं। बहुत सारा सोना चांदी धन इकट्ठा करने से कोई व्यक्ति धनवान नहीं बन जाता, धनवान वही है जिसके पास ठाकुर जी का नाम धन रूपी खजाना है । सुदामा जैसे परम त्यागी विरक्त ब्राह्मण जिनके पास सांसारिक दृष्टि से तो कुछ नहीं था लेकिन उनके पास भगवान का भजन रूपी खजाना भरपूर मात्रा में था।

सुदामा जी महाराज ने परमात्मा से कभी शिकायत नहीं की और ना ही कुछ मांगा। लेकिन भगवान पर विश्वास व उनकी श्रद्धा कभी कम नहीं हुई ।उसके परिणाम स्वरूप द्वारकाधीश भगवान कृष्ण ने सुदामा को स्वर्ग जैसा ऐश्वर्य प्रदान किया । भगवान श्री कृष्ण के 16108 विवाहों की चर्चा,उद्धव गोपी संवाद, कंस वध, नव योगेश्वर संवाद, दत्तात्रेय जी महाराज की 24 गुरुओं की कथा, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन, शुकदेव जी की विदाई एवं परीक्षित मोक्ष की कथा के साथ कथा का विश्राम हुआ। कथा के बीच में क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने आकर भागवत जी पर माथा टेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया । कथा प्रवक्ता ने सभी श्रोताओं को हाथ जोड़कर प्रार्थना भी की इस कथा से जीवन जीने के जो सूत्र बताए गए हैं उन्हें अपने जीवन में आत्मसात करें और हमेशा उन रास्तों पर चलकर अपने जीवन को सफल बनाएं। वही कार्यक्रम की ब्यवस्था में सैकड़ो श्रद्धालुओं सहित समस्त ग्रामवासी ने योगदान किया।

रिपोर्टर रजनीश कुमार

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