रामसनेहीघाट / बाराबंकी
“होता है सारे विश्व का कल्याण यज्ञ से, जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान यज्ञ से” इन सुमधुर स्वर लहरियों के बीच शुक्रवार की सुबह रामसनेहीघाट स्थित गायत्री शक्तिपीठ पर नवचेतना जागरण अभियान के तहत नौ कुंडीय गायत्री महायज्ञ का शुभारंभ हुआ। इस महायज्ञ में सैकड़ों लोगों ने आहुतियां दी तथा स्वयं के साथ-साथ राष्ट्र एवं विश्व कल्याण के लिए मंगल कामनाएं की। यज्ञ संचालक शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक राजकुमार भृगु ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति में यज्ञ का सबसे बड़ा महत्व है। भारतीय धर्म का पिता यज्ञ को माना जाता है वही ज्ञान की देवी गायत्री को सद्विचार और यज्ञ को सत्कर्म का प्रतीक मानते हैं। इन दोनों का सम्मिलित स्वरूप सद्भावना एवं सतप्रवृत्तियों को बढ़ाते हुए विश्वशांति एवं मानव कल्याण का माध्यम बनता है और प्राणी मात्र के कल्याण की संभावनाएं भी बढ़ती है।
श्री भृगु ने कहा कि यज्ञ का प्रमुख उद्देश्य धार्मिक प्रवृति के लोगों को सतप्रयोजन के लिए संगठित करना भी है इस युग में शक्ति सबसे प्रमुख है। परास्त देवताओं को पुनः विजई बनाने के लिए प्रजापति ने उनकी अलग-अलग शक्तियों का एकीकरण करके संघ शक्ति के रूप में दुर्गा शक्ति का प्रादुर्भाव किया था उस माध्यम से उनके दिन पुनः फिरे और संकट दूर हुआ। उन्होंने कहा कि मानव जाति की समस्या का हल सामूहिक शक्ति एवं संघ बद्धता पर निर्भर है।


यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यज्ञ का तात्पर्य है त्याग बलिदान और शुभ कर्म। अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान पौष्टिक तत्वों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है यदि यज्ञ भावना के साथ मनुष्य ने अपने को जोड़ा ना होता तो अपनी शारीरिक असमर्थता और दुर्बलता के कारण अन्य पशुओं की प्रतियोगिता में यह कब का अपना अस्तित्व खो बैठा होता। यह जितना भी अब तक बढ़ा है उसमें उसकी यज्ञ भावना ही एकमात्र माध्यम है। नव चेतना जागरण कार्यक्रम के तहत सायं कालीन बेला में टोली नायक राजकुमार भृगु ने महान नारियों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नारी पुरुष की पूरक सत्ता है वह मनुष्य की सबसे बड़ी ताकत है उसके बिना पुरुष का जीवन अपूर्ण है। नारी ही उसे पूर्ण करती है मनुष्य का जीवन अंधकार युक्त होता है तो स्त्री उसमें रोशनी पैदा करती है पुरुष का जीवन नीरस होता है तो नारी उसे सरस बना देती है। पुरुष के उजड़े हुए उपवन को नारी ही पल्लवित बनाती है, इसलिए शायद संसार का प्रथम मानव भी जोड़े के रूप में धरती पर अवतरित हुआ था। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी नारी सदी गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का उद्घोष है, 21वीं सदी में नारी की महत्ता बढ़ेगी और इस समाज का नेतृत्व नारियों के हाथ में होगा। पूज्य गुरुदेव ने तो यह भी कहा है कि आने वाले समय में पूरे विश्व का नेतृत्व नारी के हाथों में होगा क्योंकि नारी ही वह शक्ति है जो इस बिगड़ी हुई व्यवस्था को सही रास्ते पर ला सकती है।
इस मौके पर नायब तहसीलदार प्रज्ञा सिंह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विवेकानंद पांडे भी मौजूद रहे। इससे पूर्व गायत्री परिवार के परिजनों ने टोली के साथ साथ आए हुए अतिथियों का माल्यार्पण एवं रोली चंदन लगाकर स्वागत किया।गायत्री शक्तिपीठ रामसनेहीघाट के मुख्य ट्रस्टी डॉ शिवाकांत त्रिपाठी ने उपस्थित लोगों को बताया की 29 एवं 30 अक्टूबर को दीक्षा एवं अन्य संस्कार कार्यक्रम संपन्न होंगे।

मुरारी यादव बाराबंकी जिला संवाददाता

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