फतेहपुर जनपद में इन दिनों शरद ऋतु में घना कोहरा तथा मध्यम गति से चल रही शीतलहर हवाएं मानव जीवन सहित पशु पक्षियों को अपनी मौसमी ठंड से दर्द दे रही है। इसके साथ- साथ मौसम के मुखिया कहे जाने वाले वृक्षों का भी वर्तमान समय यह हाल है कि उनके पत्ते सिकुड़ कर सूखने की कगार में पहुंच रहे हैं। पड़ रही कड़क ठंड से राहत देने वाले सूर्य देव का भी उदय होने के बाद भी पृथ्वी में निवास कर रहे लोगो को घने कोहरे की वजह प्रकाश का फैलाव तक नहीं मालूम पड़ रहा है। जिससे रोजमर्रा की जिंगगी जीने वाले आम जनमानस को खुद सहित परिवार के बच्चो के भरण पोषण आहार में कड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। शासन व प्रशासन 100 जरूरत मंदों में सिर्फ 5 प्रतिशत को ही अनेक योजनाओं से ध्यान दे पा रही है, किंतु ऐसे में पड़ोसी व दयावान क्षेत्रीय नागरिक उनकी मदद के लिए आगे आकर मदद करते नजर आते हैं जो यह एक बड़ी विडंबना है। केवल प्रचार प्रसार से आम जनमानस की सुरक्षा व्यवस्था नहीं हो सकती, अपितु दर्द झेल रहे व्यक्ति की जगह खुद को कुछ देर के लिए जिम्मेवार ही नियुक्त कर देखें तब सही एहसास होगा कि सच्चाई का अनुभव प्रतीत होगा कि सच्चाई यही है।जैसे कि वर्तमान समय पड़ रही कड़क ठंड को देखते हुए आम जनमानस में सबसे अधिक खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के साथ पशु पक्षियों के हालातों में शायद ही कहीं सुरक्षा व्यवस्था नजर आती हो। वर्तमान की पड़ रही कड़क ठंड से पशु – पंक्षियों की मौतें होना शुरू हो गई तो वही इसी कड़क ठंड से मनुष्य भी सर्दी लगने या फिर हार्ड अटैक से मौत के मुंह में समा रहे हैं। राहत के नाम से छुटपुट जगह गर्म कपड़ों का वितरण हो गया, बाकी जरूरत मंद श्रेणी के लोग सन्नाटे में रह गए, किंतु ऐसे में न ही मानवता की दृष्टिकोण से सुरक्षा हुई और न ही उनकी सुरक्षित व्यवस्था! जनपद के विभिन्न स्थानों के ब्लॉक क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रो में अभी तक शासन के नुमाइंदों द्वारा अलाव व गर्म कपड़ों तथा भोजन तक का इंतजाम नहीं हो सका। फिर वहां की ऐसी परिस्थिति में अपाहिज व अनेक प्रकार के कारणों से भोजन व्यवस्था व गर्म कपड़ों सहित सर्द से बचाव होकर रात्रि विश्राम की उनकी स्वयं की कोई व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने पर शासन की योजनाओ के द्वारा उन्हें आज भी लाभ मिलना जमीनी हकीकत में सुरक्षा व्यवस्था कहीं भी नहीं नजर आ रही है। अब पशुओं में केवल गौवसजो की ही सुरक्षा व्यवस्था में, आमजन मानस की विभिन्न विधाओं की सुरक्षा तथा पशु पक्षियों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में शासनिक व प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था की सेवाओं की सिर्फ खानापूर्ति की पोल खोल रही है। जो शायद ही इसमें कभी सही सुधार के साथ सेवाओं का सुनिश्चित सही उपयोग हो और जरूरत समय लाभदाई योजनाओं का लाभ उठाकर आम जनमानस तहदिल से हुई व्यवस्था का स्वागत करते हुए सराहना करे, लेकिन ऐसा कब होगा, यह तो वक्त या शासन व प्रशासन के जिम्मेवार प्रतिभागियों पर निर्भर है। जैसे कि वर्तमान समय कोहरे और ठंड के बीच काफी समय बाद सूर्य की खिलती हुई किरणे खिलकर पृथ्वी की तह तक पहुंचने बाद से आमजन मानस राहत मिलने का आनंद लेते हैं।

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