बिंदकी फतेहपुर जनपद के अंतर्गत विकाश खंड अमौली क्षेत्र के ग्राम सरहन बुजुर्ग में बहुत ऐसे गरीब परिवार है जो टूटी-फूटी झोपड़ी में पन्नी तानकर रहने को मजबूर हैं। इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का अभी तक लाभ नहीं मिल सका है। परिवारों को लाभ नहीं मिलने से सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल है। कहने के लिए तो अमौली ब्लाक में प्रतिवर्ष सैकड़ों प्रधानमंत्री आवास आवंटित किए जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी गरीब है जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। बरमपुर गांव के हीरालाल प्रजापति,ननका प्रजापति,सुशील कुमार ,सीमा देवी आदि के घर की हालत काफी खराब है। वही सीमा कुशवाहा का एक टूटी- झोपड़ी नुमा घर है। घर की छत पर पोलीथिन बांधकर जीवन जीने को विवश है। गर्मी, ठंड और बारिश होने पर परिवार के चार सदस्य झोपड़ी नुमा घर में रात गुजारते हैं। सीमा कुशवाहा ने बताया कि कई बार आवास के लिए पंचायत भवन व विभिन्न शिविर के माध्यम से आवेदन जमा किये हैं, लेकिन अभी तक केवल आश्वासन ही मिल सका है। कहा कि पति के गुजर जाने के बाद अपने छोटे छोटे बच्चो का भरण पोषण वह लोगो के खेतो में मजदूरी कर कर के करती है ।जो पैसा होता है उससे जैसे-तैसे पेट भरा जा रहा है। अपने दम पर घर बनाना सपना है। सरकार की योजना का लाभ मिले तो सिर पर पक्की छत हो सकती है। इसी गांव के ननका प्रजापति का कहना है कि कच्ची दीवार पर छप्पर तानकर गुजर-बसर हो रहा है। पहले बरसात ने परेशान किया अब ठंड रूला रही है। उनका आरोप है कि अमीरों के सिर पर प्रधानमंत्री आवास का ताज पहना दिया जाता है, लेकिन गरीब इस योजना से वंचित हैं। ग्राम प्रधान से लेकर ब्लाक के हुक्मरानों से आवाज लगाई गई, लेकिन कोरा आश्वासन ही मिल सका है। जाड़े की रात बड़ी परेशानी से गुजरी है। वही बरमपुर निवासी सुशील प्रजापति का कहना है कि दो बेटी और एक लड़का पांच लोगो का परिवार जब तेज हवा व ठंड चलती है तो उन छोटे बच्चो की ठंड की सिसकियां मुझे भी सोने नही देती है जिससे रात गुजारना कठिन हो जाता है। मजदूरी करके जीवन कट रहा है। आवास बनाने के बारे में सोच भी नहीं सकते। योजना के बारे में सुना तो दिल में आस जगी कि हमें और हमारे बच्चो को भी पक्का मकान नसीब होगा। लेकिन अभी तक यह केवल सपना ही है आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका है।

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