ज़िला मजिस्ट्रेट को पचास हजार रूपए तक के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जारी करने का मिले अधिकार।
पारिवारिक बंटवारानामा और उत्तराधिकार प्रमाण पत्र के लिए निर्धारित हो अधिकतम पांच सौ रुपए शुल्क।
ब्यूरो रिपोर्ट: आलोक मालपाणी
बदायूं – भ्रष्टाचार मुक्ति आभियान के पदाधिकारी पूर्व घोषित कार्यक्रमानुसार आभियान के मंडल समन्वयक एम एच कादरी के नेतृत्व में जिलाधिकारी बदायूं के कार्यालय पर एकत्र हुए तथा लोकहित के विषयों को लेकर प्रदेश के राज्यपाल को संबोधित चार सूत्रीय मांग पत्र जिलाधिकारी बदायू को सौंपा।
इस अवसर पर विचार वयक्त करते हुए अभियान के मुख्य प्रवर्तक हरि प्रताप सिंह राठोड़ एडवोकेट ने कहा कि शासन द्वारा न्यायालयों में प्रतिलिपि शुल्क व निरीक्षण शुल्क में की गई दस गुना वृद्धि पूर्णतया अव्यावहारिक है, इससे वादकारियों के हित प्रभावित होगे। जिला मजिस्ट्रेट को पांच हजार रूपए तक के उत्तराधिकार प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने की अधिकारिता है, इसे बड़ाकर पचास हजार रूपए किया जाना चाहिए। इसी प्रकार न्यायालय से उत्तराधिकार प्रमाण पत्र बनवाने पर भारी न्याय शुल्क देना पड़ता है। अधिक व्यय होने के कारण नागरिक पारिवारिक बंटवारानामा पंजीकृत नहीं कराते हैं। व्यापक लोकहित में उत्तराधिकार प्रमाण पत्र व पारिवारिक बंटवारानामा के लिए अधिकतम पांच सौ रुपए शुल्क निर्धारित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर धनपाल सिंह, एम एल गुप्ता, रामगोपाल, सुशील कुमार सिंह, एम एच कादरी, राजेश गुप्ता, सुरेश पाल सिंह, अखिलेश सिंह, महेश चंद्र आदि उपस्थित रहे।