( ब्यूरो रिपोर्ट बहुआयामी समाचार पुनीत शुक्ला ब्यूरो प्रमुख लखनऊ मंडल )

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप से भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह का रूप धारण किया और इस महीने का निर्माण किया था। इसलिए यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान का एक नाम पुरुषोत्तम भी है। इसलिए इस महीने को पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इस मास में शुभ कार्य, विवाह, मुंडन, मांगलिक एवं नवीन कार्य पूर्णत: वर्जित माने जाते हैं।इसलिए इस मास को मलिन यानी मलमास भी कहा जाता है।धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में पूजन-अर्चन का महत्व बढ़ जाता है। अधिक मास में पूजा करने से अधिक फल की प्राप्ति होती है। भगवान नारायण की कृपा भक्तों पर बरसती है। मन से पूजन करने से भक्तों की मनोकामना शीघ्र ही पूर्ण होती है। सावन चूंकि भोले नाथ को समर्पित है। सावन के सोमवार भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं। ऐसे में सोमवार को पूजा-अर्चना व जलाभिषेक करने से शिव जी की भी विशेष कृपा मिलती है।

राशि के अनुसार करें दान-:

मेष- मालपुआ, घी, चांदी, लाल कपड़े, केले, अनार, सोना, तांबा, मूंगा और गेहूं।वृषभ- सफेद वस्त्र, चांदी, सोना, मालपुआ, मावा, शक्कर, चावल, केला, गाय, हीरा, मोती, वाहन।मिथुन- पन्ना, सोना, मूर्ति के लिए छत्र, तेल, कांसे के बर्तन, मूंग की दाल, सेब, मालपुआ, कंगन, सिंदूर, साड़ी।कर्क- मोती, चांदी, किसी प्याऊ में मटका, तेल, सफेद कपड़े, सोना, गाए, मालपुए, मावा, दूध, शकर, चावल।सिंह- लाल कपड़े, तांबा, पीतल, सोना, चांदी, गेहूं, मसूर, माणिक्य, धार्मिक पुस्तकें, अनार, सेब।कन्या- मूंग की दाल, सोना, छत्र, तेल, केले, सेब, गौशाला में धन और घास।तुला- सफेद कपड़े, मालपुआ, मावा, शक्कर, चावल, केले।वृश्चिक- घी, लाल कपड़े, मौसमी फल, अनार, तांबा, मूंगा, गेंहू।धनु- पीले कपड़े, चने की दाल, लकड़ी के सामान, घी, तिल, अनाज, दूध।मकर और कुंभ- तेल, दवाइयां, नीले कपड़े, केले, औजार, लोहा, मौसमी फल।मीन- पीले कपड़े, चने की दाल, घी, दूध व दूध से बनी मिठाई, शिक्षा से जुड़ी चीजें

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