लखनऊ।(UPESC)-UP Education Service Commission : यूपी सरकार ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग (यूपीईएससी) के गठन को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यूपी कैबिनेट की बैठक में मंगलवार 1 अगस्त को यूपी शिक्षा सेवा आयोग के गठन को मंजूरी दी गई। नये आयोग द्वारा प्राथमिक उच्च प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के साथ-साथ राज्य विश्वविद्यालयों व संघटक/संलग्न महाविद्यालयों के लिए भर्ती की जाएगी।
कैबिनेट बैठक में 32 प्रस्तावों को मिली मंजूरी
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में 32 प्रस्तावों को मंजूरी मिली। संबंधित विधेयक के मसौदे को भी मंजूरी दे दी गई। आयोग का मुख्यालय प्रयागराज में होगा। इसमें राज्य सरकार द्वारा 12 सदस्यों व एक अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी। अध्यक्ष व सदस्य तीन साल के लिए या 65 साल की आयु तक, जो पहले हो तक पद धारण करेंगे।प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि आशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों के चयन के लिए उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, अशासकीय सहायता प्राप्त इंटरमीडिएट कालेज के शिक्षकों के लिए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड तथा सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूलों एवं संबद्ध प्राइमरी अनुभाग में सहायक अध्यापकों के पदों पर चयन संबंधित प्रबंधतंत्र करते हैं। अब सारे आयोग विघटित करते हुए यह नया आयोग काम करेगा। आयोग का खर्चा सरकार के अनुदान व अपनी आमदनी से चलेगा।
आयोग के मसौदे के अनुसार आयोग प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों, अशासकीय सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज के शिक्षकों, सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल व संबद्ध प्राइमरी विद्यालयों में सहायक शिक्षकों, परिषदीय विद्यालयों में सहायक शिक्षकों, अनुदेशकों का चयन करेगा।साथ ही विश्वविद्यालयों से संबद्ध, सहयुक्त अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेजों और सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों का चयन भी आयोग से किया जाएगा। यह एक निगमित निकाय होगा और इसका मुख्यालय प्रयागराज में होगा। उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि कैबिनेट ने नए आयोग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के प्रभावी होने पर उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड समाप्त हो जाएंगे।
बहुप्रतीक्षित उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन को मंगलवार को हरी झंडी दे दी गई। आयोग के माध्यम से उच्च से लेकर बेसिक शिक्षा, अनुदेशकों व सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक कॉलेजों के शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक को मंजूरी दी गई। विधानमंडल के आगामी सत्र में इसे पारित कराया जाएगा।इससे लंबे समय से विभिन्न स्तर पर हो रही शिक्षक भर्ती का इंतजार भी जल्द समाप्त होगा।। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी तक विभिन्न विभागों में शिक्षकों के चयन के लिए संस्था स्तर की चयन समिति, चयन बोर्ड, चयन आयोग की ओर से अलग-अलग चयन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसको एकरूपता देने, योग्य शिक्षकों व अनुदेशकों के चयन के लिए इस आयोग का गठन किया जा रहा है।
एक अध्यक्ष और साथ होंगे 12 सदस्य
प्रदेश सरकार की ओर से गठित नए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक अध्यक्ष और 12 सदस्य होंगे। अध्यक्ष और सदस्य पद संभालने के दिन से तीन साल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक के लिए तैनात होंगे। कोई भी व्यक्ति दो बार से अधिक अध्यक्ष या सदस्य नहीं बन सकेगा। माना जा रहा है कि नए आयोग के अध्यक्ष पद पर कोई वरिष्ठ आईएएस या प्रमुख शिक्षाविद की तैनाती शासन करेगा। वहीं सदस्यों में न्यायिक सेवा व अनुभवी शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व इसमें दिया जाएगा।
पांच हजार से अधिक भर्तियों का होगा रास्ता साफ
नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन पर सबसे ज्यादा निगाहें युवाओं, प्रतियोगी परीक्षार्थियों की लगी हुई थी। प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक वे इसके गठन और नई भर्तियां जारी करने के लिए आंदोलन भी कर रहे थे। नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। इसकी वजह से उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग में एक-एक कर सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होता गया लेकिन नए सदस्य नहीं तैनात हुए।
5000 पदों की भर्ती अटकी है
वहीं असिस्टेंट प्रोफेसर, टीजीटी-पीजीटी भर्ती के लिए कुल लगभग 5000 पदों के लिए आवेदन लिए जा चुके हैं और भर्ती अटकी हुई है। इसके लिए 14 लाख से अधिक अभ्यर्थी आवेदक हैं। स्थित ऐसी हुई की मामला हाईकोर्ट तक गया, इसके बाद नए आयोग के गठन में तेजी आई। माना जा रहा है कि जल्द ही इसकी अन्य औपचारिकता पूरी कर काम शुरू किया जा सकेगा।