रिपोर्ट: ब्यूरो चीफ मोहम्मद फैजान स्योहारा बिजनौर।
हथकरघा बुनकरों के अच्छे दिनों की शुरुआत हो चुकी है। दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैंडलूम बुनकरों को न सिर्फ आर्थिक सहायता दी जाएगी, बल्कि उनके काम को विश्वपटल पर नई पहचान भी हासिल होगी।
मुरादाबाद जिले के 1600 व बिजनौर जिले के 2300 बुनकरों के सपनों को मेगा कलस्टर के जरिये पंख लगेंगे। यह मेगा कलस्टर मुरादाबाद व बिजनौर जिले के बुनकरों के लिए तैयार किया जा रहा है।
लंबे समय से हथकरघा बुनकरों की यह शिकायत थी कि उनके तैयार उत्पाद का स्थानीय बाजार में लागत की तुलना में सही मूल्य नहीं मिल पाता है। इसके चलते कई बुनकर पेशा छोड़कर गैर प्रांतों में मजदूरी कर रहे हैं। इस कारण हथकरघा बुनकरों की संख्या घटती चली जा रही है। हथकरघा बुनकरों की माली हालत मजबूत करने के लिए अच्छी पहल शुरू की गई है। हैंडलूम बुनकरों के लिए मेगा कलस्टर तैयार किया जा रहा है। इस मेगा कलस्टर के तहत हथकरघा बुनकरों को अब डिजाइनर इंस्टीट्यूट में ले जाकर डिजाइनरों से कागज पर डिजाइन बनवाना सिखाया जाएगा। इसके बाद यह बुनकर इस डिजाइन को कपड़े पर उकेरेंगे और उसे बाजार में ले जाकर बेचा जाएगा। इसके साथ ही मेगा कलस्टर से हथकरघा के लाभ, हैंडलूम की ब्रांडिंग सिखाई जाएगी। वहीं नेशनल व इंटरनेशनल स्तर पर बुनकरों के उत्पादों की प्रदर्शनी लगवाई जाएगी। यहां पर बुनकर अपना उत्पाद उचित मूल्य में बेच सकेंगे। इस पहल से बुनकरों के उत्पादों को एक अलग पहचान मिलेगी ।
हथकरघा बुनकरों के लिए नई पहल की जा रही है। मुरादाबाद व बिजनौर के बुनकरों के लिए मेगा हैंडलूम कलस्टर तैयार किया जा रहा है। इससे उनके उत्पादों को एक अलग पहचान मिलेगी और मांग बढ़ेगी। इससे इनकी माली हालत भी मजबूत होगी।