अगर किसी शिक्षण संस्थान ने एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के छात्रवृत्ति आवेदन अग्रसारित किए हैं, तो उसके रिकॉर्ड का अनिवार्य रूप से सत्यापन कराया जाएगा। भ्रष्टाचार रोकने के लिए चालू वित्त वर्ष से इस नियम का सख्ती से पालन करने का निर्णय लिया गया है।इतना ही नहीं अगर किसी संस्थान में 40 फीसदी से ज्यादा अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्र हैं, तो वहां के भी संबंधित रिकॉर्ड का सत्यापन कराया जाएगा। उसके बाद ही छात्रों के खातों में राशि भेजी जाएगी। प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को ढाई लाख रुपये तक और अन्य वर्गों के लिए दो लाख रुपये तक परिवार की सालाना आय होने होने पर छात्रवृत्ति के साथ शुल्क भरपाई की सुविधा दी जाती है।नियमावली में यह व्यवस्था है कि अगर किसी संस्थान से एक करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के आवेदन अग्रसारित किए गए हैं तो

घपलों पर सख्ती : 40 फीसदी से ज्यादा एससी छात्र होने पर भी रहेगी निगाह

विद्यार्थियों के रिकॉर्ड का सत्यापन कराया जाएगा, ताकि किसी तरह के भ्रष्टाचार की गुंजाइश न रहे। लेकिन, देखने में आया है कि जिला स्तर पर इस नियम का कढ़ाई से पालन नहीं हो रहा है। वर्तमान में इंटर से ऊपर के करीब 9 हजार शिक्षण संस्थान हैं। इनमें से करीब 15 फीसदी यानी 1300-1400 संस्थानों में एक करोड़ रुपये से ऊपर के आवेदन अग्रसारित किए जाते हैं। इनमें बीटेक, बीफार्मा, बीएड और डिप्लोमा इंजीनियरिंग के संस्थान प्रमुख हैं।

शासन ने इन संस्थानों के विद्यार्थियों का सत्यापन कराने के निर्देश जिला स्तरीय समिति को दिए हैं। इसमें मुख्य रूप से यह देखा जाएगा कि विद्यार्थियों ने किसी अन्य पाठ्यक्रम में तो दाखिला नहीं लिया है या किसी तरह का कोई फर्जीवाड़ा तो नहीं है। भुगतान से पहले सत्यापन की प्रक्रिया अनिवार्य रूप से पूरी की जाएगी।

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