2024 को सर करने के लिए किसी भी हद तक जाया जासकता है।इसीलिए न तो वाणी पर संयम है और न ही कर्मों पर ध्यान है बस गद्दी पाना लक्ष्य है चाहे उसके पाये लाशों के ढेर पर ही क्यों न हों।काशी की गंगा जमुनी तहज़ीब का डंका बजता था।छोटी मोटी घटनाएं हर घर में होती ही रहती हैं उसका असर इतना नहीं। हमने काशी में सीरियल ब्लास्ट के मौक़े पर शहर के हिन्दू-मुस्लिमानों का भाईचारा देखा जबकि उस दिन शहर में न तो जिलाधिकारी थे और न ही एस एस पी। उस कठिन घड़ी में पंडित वीरभद्र मिश्र जी की महानता देखने को मिली उस रात मुझे और बातिन साहब को काफी समय उनके साथ मिल बैठने का अवसर मिला ।अब इतने अन्तराल के बाद फ़िरक़ा परस्ती का ज़हर यहाँ की शांत आबोहवा में फिर घोला जारहाहै।राजनीतिक दबाव किसी कार्यवाई में बाधक बनकर खड़ी होजाती है।इसीलिए अंजुमन मसाजिद ने हालात को सामान्य रखने हेतु नगर के बहुसंख्यक वर्ग के सामाजिक, राजनीतिकविशिषट जनों,धर्मगुरूओं से मिलकर उनके सहयोग से बनारसी तहज़ीब को बचाने की कोशिश शुरू किया है।यह सब ज्ञानबाफी मस्जिद के मुकदमात से परे, दलगत राजनीति सेअलग होरहा है।आज इस क्रम में संकट मोचन मंदिर के पूर्व महन्त के सच्चे जानशीन मौजूदा महन्त श्री विशमभर नाथ मिश्र जी से मुलाकात करने अंजुमन मसाजिद का एक प्रतिनिधिमंडल मिला बनारस की साझा विरासत को बचाने हेतु विचार-विमर्श हुआ प्रोफेसर साहब ने हमलोगों के इस प्रयास को हरसंभव मदद का वादा किया तथा बहुत सराहा। आगे भी एसी मीटिंगों के लिए प्रेरित किया।महंत जी ने लगभग एक घंटा का कीमती समय दिया।हमलोगों का “हमारा बनारस और साझी विरासत ” का कार्य कार्यक्रम अनवरत जारी रहेगा।इंशाअल्लाह। आप सब की दुआओं का मोहताज एस एम यासीन संयुक्त सचिव अंजुमन मसाजिद वाराणसी25-9-23 समय 9बजे

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