न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)

लखनऊ: 31 अक्टूबर, 2023
उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान द्वारा ’’भारतीय भाषा उत्सव’’ के अंतर्गत ’’भारतीय भाषा के अंतर्गत खड़ी बोली का विकास एवं खड़ी बोली का साहित्य पर प्रभाव’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जो भारतीय भाषा और खड़ी बोली के महत्वपूर्ण पहलुओं को गहराई से अध्ययन करने का मौका प्रदान कर रहा है।
मां शारदे के समक्ष द्वीप प्रज्वलित करने के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय भाषा के अंतर्गत खड़ी बोली का विकास इस संगोष्ठी का मुख्य ध्येय है। इसके माध्यम से, विशेषज्ञों और विद्वानों ने खड़ी बोली की श्रृंगारिकता और संस्कृति को सबसे गहरी तरीके से जांचा है और इसके साथ साथ भारतीय भाषा के सौन्दर्यिक अंशों को प्रोत्साहित किया है।
इस संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वानों ने अपने विचार और विचारधाराओं को साझा करने के माध्यम से खड़ी बोली के महत्व को बढ़ावा दिया। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ० सूर्यप्रसाद दीक्षित ने कहा कि, खड़ी बोली के साहित्य का अध्ययन भाषा के इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को अधिक मजबूती देने में मददगार साबित हुआ है और इसके शब्दों और व्याकरण के विकास पर अपने दृष्टिकोण को साझा किया।


वरिष्ठ साहित्यकार श्रीहरी शंकर मिश्र ने खड़ी बोली के लिखित साहित्य के महत्व को बताया और विचार किया कि इसके माध्यम से हम अपने भाषा और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रख सकते हैं। डॉ० विद्याबिंदु ने भाषा संरक्षण के उपायों पर अपने विचार साझा किए और बताया कि लोगों को अपनी भाषा के प्रति गर्व और जागरूक होना चाहिए।
श्रीमती रश्मि शील ने खड़ी बोली के साहित्य के लिए अपनी आदर्श दृष्टिकोण को साझा किया और इसके विकास के लिए अपने योगदान के बारे में वार्ता की। प्रो० प्रियंका द्विवेदी ने खड़ी बोली के साहित्य में महिलाओं के योगदान के महत्व को बताया और इसके साहित्य में महिला लेखिकाओं के बढ़ते हुए योगदान के बारे में चर्चा की।
प्रो० राज लक्ष्मी ने भाषा संरक्षण के लिए शिक्षा के महत्व को बताया और खड़ी बोली के साहित्य के प्रमुख द्वार के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में इसके प्रोत्साहन के लिए उनके योगदान के बारे में विचार किया। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान का इस संगोष्ठी का आयोजन, भाषा और साहित्य के माध्यम से भारतीय खड़ी बोली के सौंदर्यिक और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदमों में से एक है।
संगोष्ठी में भाग लेने वाले विशेषज्ञों, विद्वानों, और साहित्यकारों का योगदान महत्वपूर्ण है, और इससे भाषा और साहित्य के क्षेत्र में एक नई ऊर्जा और दिशा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया जा रहा है। यह संगोष्ठी खड़ी बोली के संरक्षण, विकास, और महत्व को साझा करने के रूप में महत्वपूर्ण है, और हम आशा करते हैं कि इसका परिणामस्वरूप खड़ी बोली के साहित्य के लिए एक नई ऊर्जा और साहित्यिक दिशा की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
कार्यक्रम में विविध सामाजिक विभूतियां, गणमान्य विद्वत, शोधार्थी, संस्थान से दिनेश कुमार मिश्र, अंजू सिंह, प्रियंका, आशीष, हर्ष, ब्रजेश यादव, रामहेत पाल, शशि, छाया आदि उपस्थित रहे।

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