बदायूँ : 11 अप्रैल। जिला कृषि रक्षा अधिकारी दुर्गेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए अवगत कराया है कि संकृमित रोगों से वचाब के लिये जनपद में संचारी रोग नियन्त्रण अभियान 02 से 30 अप्रैल 2022 तक चलाया जा रहा है। घर घर टीमें जाकर संक्रमण के प्रति जन समुदायक को जागरूक कर रही है। चूंकि संचारी रोगों के प्रसार के लिये अन्य कारकों के साथ साथ चूहा एवं छंछूदर भी हैं। इस लिये इन रोगों की रोकथाम के लिये चूहा एवं छंछूदर का भी प्रभावी नियंन्त्रण आवश्यक है। एक आंकलन के अनुसार 40 प्रतिशत बीमारी स्क्रब, टाइफस के संक्रमण के कारण होती है, जिसके लिये चूहा एवं छछूंदर रोग वाहक का काम करते है तथा इनके आवागमन से इनके ऊपर लगे परजीवी झाडियों में चिपक जाते है जिससे मनुष्य में प्रकोप की सम्भावना रहती है।
चूहों को नियन्त्रण करने के उपाय यह हैं कि  चूहों को नियत्रित करने के लिये अन्न भण्डारण पक्का ककरीट तथा धातु से वने पात्रों में रखना चाहिये ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सके। चूहा अपना विल झाडियों,कूडों तथा मेडों आदि में स्थाई रूप से वनाते है। खेतों का समय समय पर निरीक्षण एवं साफ सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सक्ता हैं। चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली,सांप,उल्लू,लोमडी,बाज एंवं चमगादड द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है,इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियंत्रित की जा सकती है। चूहेदानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रख कर चूहों को फसा कर मार देने से चूहों की ख्ंया नियंत्रित की जा सकते है। घरों में व्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के वने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल वन्द कर देने से उससे निकलने वाली गैस से चूहे मर जाते है। एल्यूमीनियम फासफाइड दवा की 3 से 4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डाल कर बिल वन्द कर देने से उससे निकलने वाली गैस से चूहे मर जाते  है।

चूहा बहुत चालाक प्राणी है इसको ध्यान में रखते हुए 6 दिवसीय योजना वनाकर इनको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। प्रथम दिन आवासीय घरों एवं आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलो को वन्द करते हुए चिन्हित करें। दूसरे दिन-निरीक्षण कर जो बिल वन्द हो वहॉं चिन्ह मिटा दें जहां पर बिल खुले पायें वहॉं चिन्ह रहने  दें। खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एवं 48 भाग भुने दाने का चारा विना जहर मिलाये। तीसरे दिन बिलो का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखे। चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 1.0 गा्रम मात्रा को 1.0 का सरसो का तेंल एव 48 ग्राम भुनें दाने मे वनाये गये चारे को बिल मे रखे।
पांचवे दिन बिलो का पुनःनिरीक्षण करें। एव मरे हुये चूहां को एकत्र कर   जमीन मे गाड दें। छठे दिन बिलो को पुनःबन्द करें तथा अगले दिन खुले पाये जायें तो कार्यक्रम पुनःअपनाये।
चूहा नियन्त्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां यह है कि चूहा नियन्त्रण रसाधनो का प्रयोग करते समय हाथ मे दस्ताने पहने। रसायनो को बच्चो की पहुॅच से दूर रखे। मरे हुए चूहो को सावधानी पूर्वक घर के बाहर मिटटी मे दबा दे। दवा के प्रयोग के दौरान घर मे रखी खाद्य सामग्री इत्यादि  को अच्छी तरह से ढक दें।

✍️ ब्यूरो रिपोर्ट आलोक मालपाणी बदायूं

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *