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जनपद– सिद्धार्थ नगर (यू.पी)
रिपोर्ट – सूरज गुप्ता
मो०.6307598658

सिद्धार्थनगर।सामुदायिक शौचालय बना तो लेकिन लटकता रहता है 🔒🔒ताला ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर।
सरकार की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत गांव और कास्बो में लाखों लाख रूपए लगा करके शौचालय बनवाया गया है जहां अक्सर सामुदायिक शौचालय में ताला लटकता रहता है और लोग मजबूरी में खुले में शौच जाते हैं।
सरकार मूलभूत सुविधाओं के साथ- साथ स्वच्छ वातावरण को बनाये रखने के लिए तरह- तरह की योजनाएं चलाती है जिससे लोगों को लाभ मिल सके
ताजा मामला है विकास खंड डुमरियागंज के ग्राम पंचायत कुशहटा का जहाँ स्थानीय लोगों का कहना है कि सामुदायिक शौचालय में ताला लटकता रहता है इसलिए हम सभी लोग खुले में शौच करने जाते हैं जबकि कागज में शायद हम लोगों का ग्राम पंचायत ओडीएफ भी घोषित हो गया है गांव में कुछ परिवार ऐसे हैं जिनके घरों में आज भी शौचालय नहीं है लेकिन सामुदायिक शौचालय पर ताला लटकने रहने के कारण सार्वाधिक समस्या महिलाओं को होता है क्योंकि पुरुष तो खुले में शौच चले जाते हैं मगर महिलाएं खुले में शौच जाने के लिए अपनी सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंतित रहती है।


सरकार के द्वारा लाखों रुपए सामुदायिक शौचालय बनवाने पर खर्च करने के बाद भी शौचालय की स्थिति दयनीय बनी हुई है सरकारी बैठकों में जिम्मेदारों द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं ग्राम पंचायत कुशहटा में सामुदायिक शौचालय बना तो स्थानीय लोगों को लगा कि अब हम लोगों को खुले में शौच जाने से मुक्ति मिलेगी लेकिन लोगों को शौचालय जाने को नसीब नहीं हो रहा है ठन्डक का मौसम चल रहा है इसलिए बाहर शौच के लिए जाना हमेशा जंगली जीव जंतुओं से खतरा बना रहता है जिम्मेदार अधिकारी /कर्मचारी गांव में जाना और जन सुविधाओं व समस्याओं को जानना नहीं चाहते
स्थानीय लोगों ने बताया कि सामुदायिक शौचालय ग्राम पंचायत में बना है शौचालय में जाने के लिए रास्ता भी है शौचालय चालू हालत में नहीं है शौचालय में न तो पानी की टंकी लगा है, न‌ तो हैन्ड पम्प है, शौचालय मे घास फूंस उगे हुए हैं।

लोग रास्ता देख रहे हैं कि यह शौचालय पुनः कब चालू होगा इसका लाभ हम लोगों को कब मिलेगा इसीलिए सामुदायिक शौचालय बने होने के बावजूद भी
महिलाएं ,बच्चे, बुजुर्ग,विकलांग ,व युवा सभी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं खुले में शौच जाने से गंदगी के
कारण- तरह तरह की बीमारियां फैलती हैं फिर भी जिम्मेदार सब कुछ जानते हुए मूक दर्शक बने हुए हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि लाखों रुपए खर्च कर आखिर किस लिए शौचालय बनवाया गया है जबकि प्रति सामुदायिक शौचालय पर ₹6000 रुपये प्रति माह केयर टेकर को मानदेय के तौर पर और 3000 रूपये साबुन, सर्फ, हैंड वास आदि के नाम पर टोटल 9000 रुपये प्रति माह सामुदायिक शौचालय पर खर्च करने का प्राविधान है।इस सम्बन्ध में ज्यादा जानकारी के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी सिद्धार्थ नगर पवन कुमार से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि हम जांच करवाते हैं कि सामुदायिक शौचालय में क्यों हमेशा ताला🔒लगा रहता है ( सामुदायिक शौचालय बन्द क्यों रहता है ) और जो भी कमी है उसको दूर किया जायेगा।सभी सचिवों को भी निर्देशित किया गया है कि अपनी- अपनी छोटी- छोटी खामियों को देख लें और जो भी खामियां हैं शीघ्र दूर कर लें

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