रिपोर्ट:रोहित सेठ
🔵पिछले 10 साल में काशी में अभूतपूर्व विकास हुआ है-नरेन्द्र मोदी
🔵काशी के केवल आस्था का तीर्थ नहीं, ये भारत की शास्वत चेतना का जागृत केंद्र है-प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी
🔵काशी शिव की नगरी है और बुद्ध के उपदेशों की भूमि है
🔵काशी जैन तीर्थंकरों की भूमि है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला है
🔵रामलला के अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद अयोध्या भी इसी प्रकार निखर रही है
🔵देश में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को भी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है-पीएम मोदी
🔵पीएम ने सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं से संवाद किया
🔵वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक रूप से बुलंद हो रही है काशी की आभा-मुख्यमंत्र
🔵*जब दुनिया सोती है, तो प्रधानमंत्री रात्रि में जगकर लोगो के हितों का ख्याल रखते हैं-योगी आदित्यनाथ
🔵प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा व प्रयास से संयुक्त अरब अमीरात में पहला हिंदू मंदिर बना है-मुख्यमंत्री योगी
🔵पिछले 10 वर्ष में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए काशी नए कलेवर के रूप में दुनिया के सामने आई है-योगी आदित्यनाथ
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय वाराणसी दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता भवन में सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं से संवाद किया। इससे पूर्व उन्होंने स्वतंत्रता भवन पहुंचने पर वहां पर लगाए गए फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा प्रदर्शनी एवं उसमें लगाये गये तस्वीरो के संबंध में प्रधानमंत्री जी को अवगत करा रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पार्वती पतए नमः हर हर महादेव' के उद्घोष के साथ लोगो को संबोधित करते हुए कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य और स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। विगत 10 वर्षों में काशी में हुए आमूल चूल परिवर्तन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है। पूरी दुनिया से लोग शांति की तलाश में काशी आते हैं।भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी अनुभूति है।पिछले 10 वर्षों में काशी का चौहूमुखी विकास हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस काशी को समय से भी प्राचीन कहा जाता है, जिसकी पहचान को युवा पीढ़ी जिम्मेदारी से सशक्त कर रही है। ये दृश्य हृदय में संतोष भी देता है, गौरव की अनुभूति भी कराता है और यह विश्वास भी दिलाता है कि अमृत काल में सभी युवा देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। उन्होंने भोजपुरी अंदाज में भाषण की शुरूआत करते हुए कहा कि आप सब परिवार के लोगन के हमार प्रणाम। महामना के इस प्रांगण में सभी विद्वानों खासकर युवा विद्वानों के बीच आकर ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने जैसा अनुभव हो रहा है। काशी समय से भी प्राचीन कही जाती है। इसकी पहचान को हमारी आधुनिक युवा पीढ़ी इतनी जिम्मेदारी से सशक्त कर रही है। काशी सर्व विद्या की राजधानी है। आज इसका सामर्थ्य ओर स्वरूप फिर से संवर रहा है। ये पूरे देश के लिए गौरव की बात है। उन्होने काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता, सांसद ज्ञान प्रतियोगिता और फोटोगाफी के विजेताओं को उनके परिश्रम और प्रतिभा के लिए बधाई देते हुए कहा कि आप काशी की ज्ञान परंपरा का हिस्सा बने, प्रतियोगिता में शामिल हुए। ये अपने आप में बहुत बड़ा गौरव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगो से कहा कि काशी के सांसद के रूप में मेरे विजन को साकार करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पिछले 10 साल में काशी में अभूतपूर्व विकास हुआ है। आज यहां इस पर दो बुकलेट भी लांच की गई है। इसमें यहां हुए विकास के हर पड़ाव और संस्कृति का वर्णन किया गया है। इसके अलावा जितनी भी प्रतियोगिता काशी में आयोजित की गई है। उनपर भी छोटी-छोटी पुस्तकें लांच की गई है। उन्होंने कहा कि हम सब निमित्त मात्र हैं, यहां करने वाले केवल महादेव और उनके गण है। जहां महादेव क कृपा हो जाला उ धरती अइसे ही समृद्ध हो जाले। इस समय महादेव खूब प्रसन्न हैं। इसलिए महादेव के आशीष के साथ 10 साल में काशी में चारों ओर विकास का डमरू बजा है। उन्होंने मौके पर लगाये गए फोटोग्राफी प्रदर्शनी की चर्चा करते हुए कहा कि मंच पर आने से पहले काशी सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता की गैलरी देखा। 10 साल में विकास की गंगा ने काशी को सींचा है। काशी कितनी तेजी से बदली है, उसे आप सबने साक्षात देखा है।बाबा जौन चाह जालन ओके के रोक पावेला। यही लिए बनारस में कुछ उत्सव होला लोग हाथ उठा के बोलेलन नम: पार्वती पतये हर हर महादेव। काशी के केवल आस्था का तीर्थ नहीं, ये भारत की शास्वत चेतना का जागृत केंद्र है। एक समय था जब भारत की समृद्धि की गाथा पूरे विश्व में सुनाई जाती थी। इसके पीछ़े भारत की आर्थिक ताकत ही नहीं हमारी सांस्कृतिक और सामाजिक ताकत भी थी।काशी जैसी तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे मंदिर ही राष्ट्र की पगति की यज्ञशाला हुआ करती थी। यहां साधना भी होती थी और साश्त्रार्थ होते थे। संवाद और शोध होते हैं। संस्कृत के स्रोत भी थे, साहित और संगीत की सरिताएं भी थीं। उन्होने कहा कि भारत ने जितने भी नये विचार और विज्ञान दिये उनका संबंध किसी न किसी सांस्कृतिक केंद्र से थे। काशी शिव की नगरी है और बुद्ध के उपदेशों की भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की भूमि है और आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला है। दुनिया के कोने कोने से लोग ज्ञान शोध और शांति की तलाश में काशी आते हैं। हर प्रांत, बोली, भाषा और रिवाज के लोग काशी आते रहे हैं। जहां इतनी विविधिता होती है, वहीं नये विचार का जन्म होता है। जहां नये विचार पनपते हैं वपहहीं सेस प्रगति की संभावना पैदा होती है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के वक्त मैंने कहा था कि ये धाम भारत को निर्णायक दिशा देगा। भाारत को उज्ज्वल भविष्य की ओर लेकर जाएगा। आज ये दिख रहा है। अपने भव्य रूप में विश्वनाथ धाम भारत को निर्णायक भविष्य की ओर ले जाने के लिए फिर से राष्ट्रीय भूमिका में लौट रहा है। इस परिसर में देशभर के विद्वानों की विद्वत संगोष्ठियां हो रही हैा मंदिर न्याय शासत्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है। इससे देशभर के विद्वानों में विचारो का आदान प्रदान बढ़ रहा है, प्राचीन ज्ञान का संरक्षण और नये विचारों का काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता और काशी सांसद ज्ञान प्रतियोगिता भी इसी प्रयास का हिस्सा है। संस्कृत पढ़ने वाले हजारों युवाओं को किताब कपड़े और जरूरी सुविधाओं के साथ स्कॉलरीशिप दी जा रही है। शिक्षकों को भी सहायता दी जा रही है। काशी तमिल संगमम और गंगा पुष्करलु जैसे आयोजन से एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान का हिस्सा बना है। काशी के विद्वानों और विद्वत परिषद् द्वारा आधुनिक विज्ञान के लिए नये शोध किये जा रहे हैं। जल्द ही मंदिर न्यास शहर के कई स्थानों पर नि:शुल्क भोजन की भी व्यवस्था करने जा रहा है। मंदिर यह सुनिश्चित करेगा कि मां अन्नपूर्णा की नगरी में कोई भूखा नहीं रहेगा। यानी आस्था का केंद्र किस तरह सामाजिक और राष्ट्रीय संकल्पों के लिए ऊर्जा का केंद्र बन सकता है। नई काशी नये भारत के लिए इसकी प्रेरणा बनकर उभरी है। यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा और संस्कृति के ध्वज वाहक बनेंगे। बाबा विश्वनाथ की ई धरती विश्व कल्याण के संकल्प क साक्षी भूमि बनी। हमारे ज्ञान विज्ञान और आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है संस्कृति उसका उर्वरक है। इसलिए हमारे यहां कहा गया है कि भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतं संस्कृतिस्तथा। अर्थात भारत की प्रतिष्ठा में संस्कृत की बड़ी भूमिका है। एक समय हमारे देश में संस्कृत ही वैज्ञानिक शोध की भाषा होती थी और शास्त्रीय बोध की भाषा, सूर्यसिद्धांत, आर्यभट्टिय, चरक संहिता जैसे ग्रंथ संस्कृत में ही लिखे गये थे। साहित्य, संगीत और कलाओं की विधाएं भी संस्कृत से ही पैदा हुई हैं। इन्हीं विधाओं से भारत को पहचान मिली है। जिन वेदों का पाठ काशी में होता है वही वेद पाठ कांची में सुनाई देता है। ये वेद भारत का साश्वत स्वर है जिन्होंने हजारों वर्ष से भारत को राष्ट्र के रूप में एक बनाए रखा है। काशी को विरासत और विकास के मॉडल के रूप में देखा जा रहा है। परंपराओं और आध्यात्म के ईद-गिर्द किस प्रकार आधुनिकता का विकास होता है। आज ये पूरी दुनिया देख रही है। रामलला के अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद अयोध्या भी इसी प्रकार निखर रही है। देश में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों को भी आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जा रहा है। यूपी के कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ा जो रहा है। कितने ही काम आज देश में हो रहे हैं। पांच साल में देश इसी आत्मविश्वास के साथ विकास को नई रफ्तार देगा। सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा। ये मोदी की गारंटी है। आप भी जानते हैं कि मोदी की गांरंटी यानी गारंटी पूरा होने की गारंटी है।
उन्होने सभागार में उपस्थित नवजवानों से कहा कि मैं हर बार कुछ ना कुछ काम लेकर आता हूं। मैं चाहता हूं कि फोटो कंपटीशन के लिए वोटिंग हो, जो टॉप के 10 सबसे अच्छे फोटो कंपटीशन हो। उसे पोस्टकार्ड के रूप में टूरिस्टों को बेचे। जगह-जगह लोग बैठें और बेस्ट स्केचिंग को पोस्टकार्ड के रूप में टूरिस्टों को बेचें। करोड़ो की तादात में लोग आ रहे हैं, गाइड की बहुत जरूरत है। उत्तम से उत्तम गाइड का कंपटीशन होना चाहिए। प्रतिभा को विकसित होने के लिए अवसर देना चाहिए। कुछ लोग उसे संवारते हैं, कुछ लोग उसे ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। काशी तो संवरने वाला है, मुझे यहां जन-जन को, हर मन को संवारना है।
इससे पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए उन्हें दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दुनिया के प्राचीनतम नगरी काशी में उस समय आगमन हुआ है, जब 500 वर्षों के प्रभु श्रीरामलला के वनवास के कालखंड को समाप्त कर अयोध्या धाम में अपनी दूरदर्शिता, वचनबद्धता और कर कमलों से प्रभु को विराजमान हुए हैं। उन्होने कहा कि अयोध्या धाम के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा व प्रयास से संयुक्त अरब अमीरात में पहला हिंदू मंदिर बना है। गत सप्ताह ही उसका लोकार्पण कर वे काशी पधारे हैं। काशी मंदिरों का ही शहर है। अब काशी की आभा वैश्विक मंच पर सांस्कृतिक रूप से बुलंद हो रही है। अबूधाबी में बना मंदिर भी इसका नया उदाहरण है। प्रधानमंत्री द्वारा गुरुवार को आगमन के दौरान बाबतपुर एयरपोर्ट से बीएलडब्ल्यू जाते समय नवनिर्मित फुलवरिया फोरलेन के निरीक्षण की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब लोग सोते है, तो प्रधानमंत्री जगकर लोगो की सुविधाओं का ध्यान रखते हैं। पिछले 10 वर्ष में आध्यात्मिक व सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखते हुए काशी नए कलेवर के रूप में दुनिया के सामने आई है।उन्होने कहा कि अमूमन जनप्रतिनिधि का मतलब विकास के लिए प्रयास करना होता है, लेकिन प्रधानमंत्री का नियमित रूप से सांसद के रूप में काशी से जुड़ाव है। वे काशीवासियों के हितों के लिए कार्य करते हुए यहां की पुरातन आध्यात्मिक व सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा प्रदान कर रहे हैं। ऐसी प्रतियोगिताओं के माध्यम से समाज के अलग- अलग तबके के लोगों को जोड़कर कार्यक्रमों को नया स्वरूप प्रदान कर रहे हैं।
इस अवसर पर उन्होंने सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के विजेताओं को को सम्मानित भी किया। उन्होंने आशुतोष पति त्रिपाठी, तारा देवी एवं शिखा मिश्रा को छात्रवृत्ति स्वरूप 10-10 हजार रुपए का चेक प्रदान किया। इस दौरान उन्होंने सांसद खेलकूद, सांसद फोटोग्राफी, सांसद ज्ञान और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता की स्मारिका एवं काफी टेबल बुक का लोकार्पण भी किया।
कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, मंत्री रविंद्र जायसवाल, मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु', विधायक सौरभ श्रीवास्तव, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष नागेंद्र पाठक सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।