रिपोर्ट:रोहित सेठ
🔵काशी विद्यापीठ में डॉ. अंजना वर्मा की पुस्तक का हुआ लोकार्पण।
वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मानविकी संकाय स्मार्ट कक्ष में शनिवार को इतिहास विभाग की अध्यापिका डॉ. अंजना वर्मा की संदर्भित पुस्तक “पूर्वमध्यकालीन कश्मीर एक: सांस्कृतिक अध्ययन” का लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा कि शोध के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। ज्ञान को फैलाना वर्तमान की जरूरत है। हमें शोध के लिए बाहर निकलने की आवश्यकता है। प्राचीन काल से काशी के साथ कश्मीर भी ज्ञान का मुख्य केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में इतिहास लेखन की एक महत्वपूर्ण परंपरा विद्यमान रही है। कश्मीर जैसे प्रमुख क्षेत्र पर काम करना विशेष महत्वपूर्ण है, जो अभी तक इतिहासकारों की दृष्टि से अछूता रहा है।
मुख्य वक्ता रज्जू भैया राज्य विश्वविद्यालय से पधारे संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो. राजकुमार गुप्ता ने अपने वक्तव्य में इतिहास लेखन में क्षेत्रीय इतिहास के महत्व को रेखांकित किया। पुस्तक के हवाले से उन्होंने लेखिका को बेहतरीन कार्य के लिए बधाई दी।
विशिष्ट अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की डॉ. अर्चना शर्मा ने बताया कि कश्मीर के सांस्कृतिक इतिहास में महिलाओं का विशेष योगदान है। कश्मीर के प्रशासन में वहां की महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिनमें सुगंधा, दिद्दा, सूर्यमती, रानी रद्दा आदि महत्वपूर्ण हैं। इन्होंने प्रशासन के साथ-साथ संरक्षिका एवं दान कार्य में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वक्तव्य के अंत में कश्मीर की इतिहास लेखन की परंपरा को स्त्री विमर्श से भी जोड़ा। कश्मीर का इतिहास अपने आप में ही एक ज्वलंत मुद्दा है। पूर्व मध्यकालीन कश्मीर में भारत की अखंडता के तत्व तो है ही, साथ ही भारत की अखंड संस्कृति में कश्मीर की क्षेत्रीय संस्कृति का योगदान भी बहुत महत्वपूर्ण है।
संकायाध्यक्ष प्रो.अनुराग कुमार ने बताया कि डॉ. अंजना वर्मा की पुस्तक मूल स्रोतों पर आधारित एक उत्कृष्ट कार्य है। आपने क्षेत्रीय इतिहास लेखन के साथ-साथ आदिवासी इतिहास लेखन पर भी काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। विभागाध्यक्ष इतिहास प्रो. जया कुमारी आर्यन ने डॉ. वर्मा को इस शैक्षणिक उपलब्धि पर बधाई दी। स्वागत भाषण प्रो. आनन्द शंकर चौधरी ने दिया। संचालन डॉ. अलका पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने किया।
इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो. अमिता सिंह, छात्र कल्याणाध्यक्ष प्रो. के.के. सिंह, नैक समन्वयक प्रो. मोहम्मद आरिफ़, एन.एस.एस. समन्वयक डॉ. रविन्द्र गौतम, प्रो. निरंजन सहाय, प्रो. राजमुनि, प्रो. रामाश्रय, डॉ. संगीता, डॉ. अनिता, डॉ. प्रीति, डॉ. अविनाश, डॉ. निशा सिंह, डॉ. नीरज धनकड़, डॉ. सुमन ओझा, डॉ. विजय रंजन, डॉ. मुकेश पंत, डॉ. दिनेश शुक्ल, डॉ. रीना, डॉ. नवरत्न, डॉ. विजेंद्र प्रताप, डॉ. अरुण शर्मा, डॉ. विनोद सिंह, डॉ. अनिरुद्ध, डॉ. गोपाल, डॉ. प्रिया, डॉ. अंजू, डॉ. शैलेश, डॉ. प्रशांत, डॉ. प्रभा, डॉ. मनोहर, डॉ. रामप्रकाश आदि उपस्थित रहे।