रिपोर्ट:रोहित सेठ

🔵नवीन पीढ़ी को अध्यात्म ज्ञान और भारतीय ज्ञान परम्परा के ज्ञान राशि से जोड़ने में सहायक होगा– कुलपति प्रो शर्मा.

नई पीढ़ी को अध्यात्म ज्ञान और भारतीय ज्ञान परम्परा के ज्ञान राशि से जोड़ने तथा संस्कृत शास्त्रों के विद्यार्थियों को रोजगार की दिशा में पुराण प्रवचन प्रवीण (कथावाचन) सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम का संचालन शीघ्र ही विश्वविद्यालय में प्रारम्भ होने जा रहा है।उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने विद्यार्थियों हित और संवर्धन के लिये उठाये जाने वाले कदम की दिशा में एक पहल के दौरान व्यक्त किया।
शास्त्रों के तकनीकी ज्ञान से जुड़ने में सहायक–
कुलपति प्रो शर्मा ने बताया कि यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के लिए है, वही देश के भविष्य और अनमोल रत्न हैं, उनका निर्माण इस संस्था के द्वारा किया जा रहा है।शास्त्रों के ज्ञान के साथ-साथ उन्हें शास्त्रों के तकनीकी ज्ञान और उन्हें स्वनिर्भर बनाने की दिशा में भी अनवरत प्रयास किया जा रहा है।
समाज निर्माण की दिशा में अपनी सहभागिता होगी–
विभिन्न तरीके से उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने की दिशा में अभिनव प्रयास भी किया जा रहा है।उसी दिशा में कथावाचक के रूप तैयार करने के लिए एक ऐसा पाठ्यक्रम निर्माण किया जा रहा है जो कि समाज निर्माण की दिशा में अपनी सहभागिता भी दे सके।इसके लिए पुराण प्रवचन प्रवीण (कथावाचन) सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम के समसामयिक महत्त्व को एवं सामाजिक उपयोगिता के दृष्टिगत विश्वविद्यालय द्वारा पुराण प्रवचन प्रवीण (कथावाचन) सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम का ऑनलाइन संचालन के निमित्त पाठ्यक्रम निर्माण हेतु पुराण प्रवचन प्रवीण (कथावाचन) पाठ्यक्रम निर्माण समिति का गठन किया गया है–जिसमें विशेषज्ञ के रूप में उद्भट विद्वान जनों को रखा गया है।

पाठ्यक्रम निर्माण हेतु समिति गठन-

  1. प्रो० विजय कुमार पाण्डेय
    अध्यक्ष
  2. प्रो० सुधाकर मिश्र
    सदस्य
  3. प्रो•बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र
    सदस्य
  4. प्रो० हरिशंकर पाण्डेय
    सदस्य
  5. प्रो० रामसलाही द्विवेदी
    सदस्य।
    ऑनलाइन माध्यमों से-
    कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस संस्था के द्वारा ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के द्वारा जिज्ञासु महानुभावों की सुविधा हेतु संस्कृत भाषा सीखने, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, कर्मकांड आदि के ऑनलाइन पाठ्यक्रम संचालित हैं जिसमें देश भर से पंजीकरण कराकर ऑनलाइन माध्यमों से अध्ययन किया जा रहा है। इसी तरह देश भर से डिमांड के आधार पर यह पुनः एक नवीन पाठ्यक्रम संचालन किया जाएगा।

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