सम्पूर्ण परिसर में गूंजा वैदिक मंत्रोच्चार।

रोहित सेठ

शंकराचार्य जी ने मानवता के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया– कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।

विश्वविद्यालय में आज आदि शंकराचार्य की 1236 वीं जयंती समारोह मनाया जा रहा है,जिन्होंने मानवता के लिए आध्यात्मिक ज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया। भारतीय दर्शन, विशेष रूप से अद्वैत वेदांत में उनके गहन योगदान ने हमारी सांस्कृतिक विरासत पर एक अमिट छाप छोड़ी है।जो कि उन्होंने दुनिया में हिन्दू संस्कृति के पतन के समय इसे पुनर्जीवित किया।

विश्व कल्याण,संस्था की समृद्धि एवं हमारी विरासत संस्कृत के संरक्षण- संवर्धन के लिए प्रार्थना-
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा
की अध्यक्षता मेंआदि शंकराचार्य की 1236 वीं जयंती के अवसर पर परिसर स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर विश्व कल्याण,संस्था के समृद्धि एवं हमारी विरासत की भाषा संस्कृत के संरक्षण- संवर्धन के लिए प्रार्थना कर अपने विचार व्यक्त किया।

देश के चारों दिशाओं में पीठ की स्थापना कर दिये शिक्षा के संदेश।
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि जिन्होंने भारत के सम्पूर्ण भौगोलिक परिधि को अपने पैरों से नापा तथा चार पीठ की स्थापना कर शिक्षा का संदेश दिया।इस शुभ अवसर पर, आइए हम आदि शंकराचार्य के कालातीत ज्ञान पर विचार करें और उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करें। उनकी विरासत हमें आंतरिक शांति, सद्भाव और सार्वभौमिक भाईचारे के मार्ग की ओर ले जाए।
सुन्दरीकरण एवं समुचित प्रकाश कराये जाने का निर्णय।

समारोह के प्रारम्भ में कुलपति द्वारा आदि शंकराचार्य के मूर्ति पर माल्यार्पण कर वैदिक मंत्रोच्चार से विधि-विधान से पूजन किया गया।सम्पूर्ण पूजन पुजारी डॉ सच्चिदानंद ने किया।
उक्त अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के सदस्य आचार्य गण, अधिकारी गण, कर्मचारी एवं विद्यार्थियो ने सहभाग किया।

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