भव्यता से संपन्न हुआ शंकराचार्य जयन्ती महोत्सव।
रोहित सेठ
मंदिर देव दर्शन से रोजगार सृजन एवं अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी।
नई दिल्ली : 12 मई 2024 को एनडीएमसी कन्वेंशन सभागार में आदि शंकराचार्य जयंती महोत्सव आयोजित किया गया । आनंद पीठाधीश्वर श्री स्वामी बालकानंद गिरी जी महाराज के अध्यक्षता में समारोह का भव्य आयोजन किया गया। संतो द्वारा दीप प्रज्वलन कर कार्य्रक्रम का शुभारम्भ किया गया । सभी सम्मानित अतिथियों को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, धार्मिक पुस्तकें भेंट किया गया। संतों ने देश की समृद्धि पर कहा – भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, जिससे जीवन में संपन्नता की प्राप्ति होती हैं और देश समृद्ध बनेगा । शनिधाम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी परमहंस निजस्वरूपानन्द पूरी दाती जी उपस्थित रहे। उन्होंने सनातन संस्कृति की पद्धत्ति पर प्रकाश डाला।
वही श्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने उद्बोधन में दसनामी अखाड़ा परंपरा के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने धर्म मंदिर आधारित अर्थ व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए बताया की बस, रेल, कार, हवाई यात्रा, फूलवाले, फलवाले, होटल, भोजन विक्रेता, हलवाई से लेकर रिक्शा चालक तक सभी छोटे से बड़े व्यापार को मजबूती मिलती है। यही हमारी मंदिर देव दर्शन आधारित अर्थ व्यवस्था हैं । इस पावन पुनीत अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे विशिष्ट संतो – आचार्यों , विद्वानों, बुद्धिजीवी नागरिकों, लेखकों, पत्रकारों ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को शोभामय किया।
श्री निवास वरखेड़ी जी तथा प्रो के अनंता जी ने चार वेदों के चार सूत्र वाक्य पर उद्बोधन किया। विशेष रूप से भुवनेश्वर से पधारे वेद – विद्वान श्री अरुण कुमार उपाध्याय जी ने आदि शंकराचार्य जी के जन्म को ईसा से पूर्व हुआ। इस पर अपने प्रमाणिक शोध को प्रकट किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि माननीय दिनेश चंद्र जी अखिल भारतीय संरक्षक विश्व हिंदू परिषद ने अपने वक्तव्य में बताया की आदि शंकराचार्य भगवान ने सनातन धर्म की पुनर्स्थापना हेतु आधार भूत कार्य किया। द्वेत – अद्वेत, ब्रह्म एक है “अहम ब्रह्मस्मी” एवं शंकराचार्य सगुण साकार के सिद्धांत पर विचार प्रकट किए।
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार प्रदीप पंडित जी ने राष्ट्र की सीमाओं को कैसे सुरक्षित रखा जाए? इस सम्बन्ध भगवान शंकराचार्य से प्रेरणा मिलती है। उन्होंने देश की सीमाओं पर मठों की पुनर्स्थापना पर अपने विचार रखे।
राजस्थान से पधारे वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अरुण शर्मा जी ने आदि शंकराचार्य जयंती पर समस्त राष्ट्र को बधाई देते हुए कहा की विश्व का प्रत्येक सनातनी आदि शंकराचार्य को स्वीकार करता है, क्योंकि कोई भी देवी – देव ऐसे नहीं जिनकी स्तुति स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य जी ने न की हो। विशेष रूप से स्वामी कल्याण चंद्र त्रिखंडीय जी द्वारा दुर्गा सप्तशती का हिंदी रूपांतर का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में स्वागत समिति के सदस्यों में संजय गौतम, विकास चावला, महेश हिंगोरानी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। आदि शंकराचार्य सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष दीपक गुप्ता जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया । संयोजक आचार्य श्री शुभेश शर्मन जी ( राष्ट्रीय प्रमुख, धर्म समाज अखिल भारतीय संत समिति ) ने मंच संचालन करते हुए अपील की, भगवान आदि शंकराचार्य की जीवनी को प्रत्येक सनातनी हिंदू को अपने बच्चो को जरूर पढ़ाना चाहिए और सरकार को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करना चाहिए। इस कार्यक्रम का सफल आयोजन संयुक्त रूप से आदि शंकराचार्य सेवा ट्रस्ट,अखिल भारतीय संत समिति धर्म समाज ने किया ।