पत्रकारिता के तेजस सूर्य हुआ अस्त पत्रकारिता एक बेहद धीर गंभीर विषय है।

रिपोर्ट राहुल राव

पत्रकारिता एक बेहद धीर गंभीर विषय है। इसमें बेशुमार शोहरत और आलीशान लाइफ स्टाइल के साथ पैसा है वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारियां और खतरे भी कम नहीं हैं। टीवी पर दिखते और अख़बार में लिखते पत्रकारों को देख लोगों को लगता है कि इस पेशे में शोहरत, पैसा और आज़ादी है, लेकिन अपनी आत्मचेतना को जगाए रखना, किसी प्रलोभन या धमकी से न डरना और अपनी रीढ़ को सीधा रखना आजकल भारत की पत्रकारिता में बहुत मुश्किल है। प्रकाश जी मानव हरदिल अजीज थे। उनकी बातें, टिप्पणी, संवाद का स्तर उन्हें हमारे जैसा बना देता था। सरल, सहज और डाउन टू अर्थ प्रकाश जी छोटे से छोटे व्यक्ति के लिए भी समय देखे बिना मंत्रियों तक को फोन लगा देते थे लेकिन अपने लिए कोई सिफारिश? कभी नहीं, किसी से नहीं। समाज को कोरोना से डराते, सांप्रदायिक समाचार चला कर पंथ विशेष के ही हित की ख़बरों को प्रसारित करने और देश के विरुद्ध माहौल तैयार करने में एक वर्ग जहाँ विशेष महारत हासिल कर चुका है, वहीं कुछ पत्रकार आज भी सच्चाई और देशप्रेम की मशाल पकडे हुए हैं। उन्हीं में से एक राष्ट्रवादी पत्रकार थे, श्री प्रकाश जी मानव । नई विधा के संस्थापक प्रकाश जी मानव को जहाँ अपने तेजतर्रार बुलंद आवाज़ के लिए जाना जाता था, वहीं उनकी हाज़िर जवाबी, उनकी स्याह को स्याह और धौल को धौल कहने की क्षमता उन्हें भीड़ से अलग करती थी। पत्रकारिता के पित्र पुरुष पंडित श्री शिवनारायण जी गोड़ ने अपने मानस पुत्र प्रकाश मानव को नईविधा का एक छोटा पौधा बड़े ही विश्वास के साथ सोपा था जिसे श्री प्रकाश जी मानव ने अपने खून पसीने से सीचकर मंदसौर नीमच जिले में एक वट वृक्ष के रूप में स्थापित किया उन्होंने अपनी बेबाकी, हाजिर जवाबी और सार्थक बहस के माध्यम से नई विधा को मालवा अंचल का क्षेत्र का सर्वप्रिय समाचार पत्र बना दिया था। अपनी स्पष्टता के साथ बात कहने के अंदाज़ और किसी भी विषयवस्तु पर उनका ज्ञान उन्हें सफलता के शिखर पर पहुंचा चुका था। कठिन से कठिन विषय पर अपने तर्कों के माध्यम से सरलता के साथ विषयवस्तु को प्रस्तुत करने का फन विरले पत्रकारों में ही होता है। आज जब पत्रकारों को अलग नजर से देखा जाता है, आपकी सर्वमान्य स्वीकारता आपको देश प्रदेश का निष्पक्ष पत्रकार बनाती थी। जितने तीखे सवाल विपक्ष से होते थे, उतने ही चुटीले अंदाज़ में आप सत्ता पक्ष को भी निशाना बनाना जानते थे। आपके निधन से नीमच मंदसौर ने पत्रकारिता की आवाज खो दी आज। पत्रकारिता का एक सच्चा सपूत आज चला गया जिसके लिए पत्रकारिता भी रो दी होगी। नीमच आज दुखी है। भावभीनी श्रद्धांजलि मानव जी शोकाकुल नई विधा परिवार

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