रिपोर्ट:राहुल राव

नीमच – बेटियों के बिना सृष्टि की कल्पना अंसभव है लेकिन घुणित विचार आज भी सृष्टि का आधार बेटियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है जिसके लिए बेटियों की सुरक्षा को लेकर सर्व समाज चिंतित हो जिसको लेकर बेटियों को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करने वाली संस्था आराध्या वेलफेयर सोसाइटी की संयोजिका एडवोकेट श्रीमति माया (मीनू) लालवानी ने अंतर्राष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर बेटियों की सुरक्षा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज बेटियों के जन्म पर इंसान जितनी खुशियां मनाता है उतना ही बेटियों की अस्मिता और सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं है जिससे देश की बेटियां अपने आपको असहज व असुरक्षित महसूस करते हुए सुरक्षित नहीं समझती है यह देश के लिए एक चिंता का बहुत ही बड़ा विषय है वर्तमान में ऐसी स्थितियां बनी हुई है की लोग दूसरों की बेटियों पर गिद्ध की तरह नजर गढ़ाए रहते हैं आज के युग में समाज में हो रहे जघन्य अपराधों की वजह से परिवार में संस्कार और संस्कृति का अभाव व्यक्ति को दृष्ना और हेवानियत की ओर ले जा रहा है।

ऐसे में केवल कानून से समाज सुधार की कल्पना थोथी साबित हो रही है बेटियों को हम लक्ष्मी के रूप में पूजते हैं उनकी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करना हम सभी देशवासियों का दायित्व है देखा जाए तो देश भर में आए दिन देश की बेटियों के साथ विभत्य घटनाक्रम हो रहे हैं और ऐसे विभत्य घटनाक्रम होते रहेंगे तो देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेगी और वह कैसे अपने आप को सुरक्षित ओर सहज महसूस कर संकेगी जैसा कि दिल्ली निर्भया कांड और कोलकाता में ताजा घटनाक्रम ने देश के लोगों का दिल दहला दिया है इसी को ध्यान में रखते हुए देश ओर दुनिया के हम सभी नागरिकों का फर्ज बनता है कि हम सभी को सामाजिक संवेदनाओं को जागरुक करने की आवश्यकता है जिससे आए दिन महिलाओं और बेटियों के साथ होने वाली घटनाओं पर लगाम कसी जाकर देश की मातृ शक्तियों ओर हमारी बहन बेटियों पर होने वाले अत्याचारों को रोका जा सके बेटियां खुशियों का वह सुनहरा पल होती है जो दो परिवारों के रिश्तों को जीवन भर संजोकर रख मानवता का परिचय देती है आज मानवीय संवेदनाएं शुन्य होती जा रही है और मानवता का पतन हो रहा है यह दिल को झकझोर ने वाला बहुत बड़ा संकट है जैसे जीवन में आवश्यक वास्तु ,,जल है तो कल है,, और इस सत्य के साथ ही समाज से जुड़ा,,बेटी है तो कल है,, भी समाज में बहुत अति आवश्यक है आज की शैशव अवस्था की बेटियां कल कन्या व आगे नव-वधु या माता बनकर समाज के बीच आती है।
इसलिए हम सभी का दायित्व है की बेटियों की रक्षा का प्रतीक आत्मरक्षा व सतत् प्रशिक्षण ही बेटियों का सुरक्षा चक्र है इसलिए हम सभी देशवासियों को अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस के अवसर पर यह प्रण लेना चाहिए कि देश की बेटियों की रक्षा व सुरक्षा करना हम सबका दायित्व और अधिकार है और ऐसे में बेटियों की सुरक्षा के लिए बेटियों को सुरक्षा चक्र आत्मरक्षा का सतत् परीक्षण जरुर करवाया जाए जिससे देश की बेटियां ओर मातृ शक्तियां अपने आप को सुरक्षित और सहज महसूस कर सके!

संयोजिका -: एडवोकेट श्रीमति (माया) मीनू लालवानी

आराध्या वेलफेयर सोसायटी
बेटियों को जन्म देने वाली माताओं को सम्मानित करने वाली संस्था!

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