रिपोर्ट – परवेज आलम लखीमपुर खीरी

रेबीज जानलेवा है पर रोकथाम संभव है- डॉ एसके मिश्रा

विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर जिला चिकित्सालय मोतीपुर ओयल में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रभारी सीएमएस डॉ एसके मिश्रा ने की। बैठक में रेबीज होने के कारण व उससे बचाव संबंधी विचारों को स्वास्थ्य कर्मियों को बताया गया अपने संबोधन में डॉ एसके मिश्रा ने बताया कि रेबीज वायरस (आरएबीवी) संक्रमित जानवर की लार या मस्तिष्क/तंत्रिका तंत्र के ऊतकों के साथ सीधे संपर्क (जैसे कि आपकी आंखों, नाक या मुंह में टूटी हुई त्वचा या श्लेष्म झिल्ली के माध्यम से) फैलता है। रेबीज घातक है लेकिन रोकथाम योग्य है। यह लोगों और पालतू जानवरों में फैल सकता है, यदि उन्हें किसी पागल जानवर ने काट लिया हो या खरोंच दिया हो तो आपको तत्काल प्रभाव से एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाना चाहिए। ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ एके द्विवेदी ने बताया कि भारत में बंदर कुत्तों के काटने व नोचने से भी रेबीज के होने की संभावनाएं बहुत अधिक है। भारत में ऐसे तमाम मामले रोज सामने आते हैं, जिनमें आवारा कुत्ते या बंदर किसी भी व्यक्ति को काट लेते हैं, परंतु लापरवाही तब होती है जब ऐसे लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं लगवाते। इस दौरान सर्जन डॉ हर्ष देव भारती, डॉ विकास प्रताप, मैट्रन रजनी मसीह, पंकज शुक्ला आदि ने अपने विचार रखें। गोष्ठी में डॉक्टर सहित फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, पैरामेडिकल स्टाफ व अन्य कर्मचारी शामिल हुए।

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