रिपोर्ट: नागेन्द्र प्रजापति

प्रयागराज ।सेंट मेंरीज स्कूल घूरपुर प्रयागराज में साइबर क्राइम अधिकारी जयप्रकाश सिंह व अनमोल सिंह ने सभी छात्र-छात्राओं को साइबर अपराधो की जानकारी और उनसे जुड़ेू साइबर अटैक, डिजिटल अरेस्ट और बचाव के रास्ते भी बताए जिससे हमारे विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित रहें पुलिस आज के डिजिटल युग में फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराधों में भी इजाफा हो रहा है। खासकर, नकली प्रोफाइल बनाना और मीम जनरेट करना, युवाओं के बीच एक खतरनाक चलन बनता जा रहा है। कई बार स्कूल के बच्चे अपने शिक्षकों की फोटो और नाम का दुरुपयोग करके उनकी नकली फेसबुक या इंस्टाग्राम आईडी बना लेते हैं और उनके ऊपर अपमानजनक मीम्स बनाते हैं। यह उन्हें मजाकिया लगता है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि वे एक गंभीर अपराध कर रहे हैं। स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब वे मॉर्फिंग कर किसी की छवि को अश्लील या न्यूड बना देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें जेल भी हो सकती है।


नकली प्रोफाइल और मीम्स मजाक या अपराध?
अक्सर बच्चों को इस बात का एहसास नहीं होता कि जिस काम को वे ष्मजाकष् समझते हैं, वह वास्तव में एक गंभीर कानूनी अपराध है। किसी की नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाना या उसकी छवि को गलत तरीके से पेश करना, जैसे कि न्यूड मॉर्फिंग, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के तहत एक साइबर अपराध है। इस प्रकार के अपराधों के लिए दोषियों को कठोर कानूनी सजा का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जेल और जुर्माना दोनों शामिल हैं।संबंधित कानून और सजा आईटी अधिनियम की धारा 66ब यह धारा पहचान की चोरी से संबंधित है, जिसमें नकली प्रोफाइल बनाना शामिल है। इसके लिए 3 साल तक की कैद औरध्या 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है आईटी अधिनियम की धारा 67रू अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण करता है, जैसे किसी छवि को अश्लील रूप में मॉर्फ करना, तो उसे पहले अपराध के लिए 3 साल तक की सजा और रू5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। बाद में अपराध दोहराने पर सजा 5 साल तक और जुर्माना रू10 लाख तक हो सकता है।


भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 356 मानहानि, जिसमें अपमानजनक मीम्स जैसी सामग्री बनाना शामिल है, के लिए 2 साल तक की कैद और जुर्माना दोनो हो सकता है साइबर अपराध का प्रभाव जो लोग इस प्रकार के साइबर अपराधों का शिकार होते हैं, चाहे वह नकली प्रोफाइल हो या अपमानजनक मीम्स, उन्हें मानसिक और सामाजिक रूप से काफी हानि पहुंचती है। उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भारी नुकसान हो सकता है, जिससे मानसिक तनाव, चिंता और कई मामलों में अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह अपराध न केवल पीड़ित के निजी जीवन को प्रभावित करता है बल्कि उनके पेशेवर जीवन पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है बच्चों को शिक्षित करना जरूरी आजकल स्कूलों में इस तरह के साइबर अपराध बढ़ते जा रहे हैं, खासकर उन बच्चों के बीच जो अपने शिक्षकों के खिलाफ अपमानजनक मीम्स बनाते हैं। इसे रोकने के लिए शिक्षकों, माता-पिता और समाज का सहयोग जरूरी है। बच्चों को यह समझाना आवश्यक है कि उनका यह मजाक कानूनी और सामाजिक दृष्टि से कितनी बड़ी समस्या बन सकता है।
जागरूकता और रोकथाम
ऐसे साइबर अपराधों को रोकने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना आवश्यक है
सोशल मीडिया का सही उपयोग बच्चों को यह सिखाया जाना चाहिए कि सोशल मीडिया का सही और जिम्मेदारी से उपयोग कैसे करें और किसी भी प्रकार की गलत सामग्री से दूर रहें।
नकली प्रोफाइल की रिपोर्टिंगरू अगर किसी को नकली प्रोफाइल या अपमानजनक मीम्स मिलते हैं, तो उन्हें तुरंत रिपोर्ट करें और जरूरत पड़ने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों को भी सूचित करें।
कानूनी जानकारी माता-पिता और बच्चों को साइबर अपराधों के बारे में जानकारी होनी चाहिए, खासकर आईटी अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत, ताकि वे अनजाने में ऐसे अपराध न करें।
मनोवैज्ञानिक समर्थन इस प्रकार के अपराधों के पीड़ितों को मानसिक और कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे इस स्थिति से बाहर निकल सकें और न्याय प्राप्त कर सकें।
इस सेमिनार के अंत मे विद्यालय के प्रधानाचार्य आशीष रंजन ने सभी विद्यार्थियों को साइबर क्राइम से सावधानी बरतने के लिए कहा। अगर कोई साइबर क्राइम में कोई घटना होती है तो तुरन्त अपने घरवालों, शिक्षकों या अपने से बड़ों को सूचित करें और इस मुद््दे को बताने में संकोच न करें।

प्रधानाचार्य

आशीष रंजन
मो.- 9450952219

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