रिपोर्ट: राहुल राव
🔵अब साहूकारों की संख्या अंगुली पर गिनने लायक,असली कारोबार तो गैर पंजीकृत सूदखोर ही कर रहे..!!
इंसान जब भी सूदखोरो के पास जाता है जब उसको बहूत आवश्यकता होती है ओर उस व्यक्त वह इंसान मजबूर होकर हर शर्त को मानने के लिए राजी हो जाता है इसका फायदा सूदखोर तभी से उठाना शुरू कर देता है की यह मजबूर हैं!वही से इन सूदखोरों की इंसानियत खत्म होनी शुरू हो जाती हैं!बल्कि कर्ज लेना और देना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह सूदखोरी का जरिया बन जाता है तो इसका परिणाम दर्दनाक ही होता है!सूदखोर किसी को समस्या से निकालने के लिए नहीं, बल्कि अपने धन को दोगुना-तीन गुना करने के लिए कर्ज का धंधा चलाते हैं!लाभ कमाना उनका मकसद होता है इसलिए उनमें संवेदना का स्तर लगभग शून्य रहता है!यह हैरान करने वाली बात है कि अनेक कानूनी प्रविधान करने के बाद भी सूदखोरों का जाल आज भी पूरे देश में फैला हुआ है!उनका नेटवर्क इतना मजबूत हो चुका है कि अनेक क्षेत्रों में प्रशासनिक मशीनरी उन तक पहुंचने का साहस ही नहीं दिखा पाती!एक तरह से व समानांतर व्यवस्था चला रहे हैं!
कई राज्यों में सूदखोरों की गैंग शहर से लेकर गांव तक फैली हुई है!बल्कि कई आदिवासी क्षेत्रों में तो व इतने सशक्त हो चुके हैं कि बिना व्यापक अभियान चलाए उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल है!राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र हों या शहरी,साहूकारों द्वारा ब्याज पर ऋण देने की व्यवस्था लंबे समय से चली आ रही है। इसके लिए कानून में प्रविधान भी किए गए हैं कि पंजीकृत साहूकार ही ऋण देने का काम कर सकता है,लेकिन ऐसे साहूकारों की संख्या अंगुली पर गिनने लायक ही है!असली कारोबार तो गैर पंजीकृत सूदखोर ही कर रहे हैं,जो शासन के किसी भी नियम-कायदे को नहीं मानते!ऐसा भी नहीं है कि उन्हें नियंत्रित करने के लिए कोई प्रविधान नहीं है, लेकिन पुलिस और प्रशासन की लापरवाही उनके लिए खाद बन जाती है!शिकायत के बाद भी अक्सर अधिकारी आंखें मूंदे रहते हैं,जिसका लाभ सूदखोर उठाते हैं!यही वजह है कि देश में सूदखोरी की वजह से हंसता-खेलते परिवार बर्बाद हो जाते है! सूदखोरों की गैंग से आतंकित होकर परिवार कई बार जहर पी लेते है जिससे उनकी मौते हो जाती हैं!बल्कि कई बार उनके सुसाइड नोट पढ़कर लगता है कि सूदखोरों के कारण व लंबे समय से तनाव में जी रहे थे!उनकी लिखी यह पंक्ति ही पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है कि ‘रोज-रोज मरने से अच्छा है एक दिन मर जाएं!’सच में ऐसे गिरोह जिस तरह तीन का तेरह करने के लिए लोगों को धमकाते हैं उससे रातों की नींद उड़ना स्वाभाविक ही है!हर वक्त एक ही तनाव बना रहता है कि कहीं घर के दरवाजे पर सूदखोर या उसके गुर्गे न आ जाएं!सरकार व पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से उम्मीद करते हैं कि वह सूदखोरों के खिलाफ एक सख्त अभियान चलाकर सख्त कार्यवाही अमल में लाएं जिससे कि लोगों की जान बच सकें।