नागेन्द्र प्रजापति ब्यूरो चीफ प्रयागराज

प्रयागराज देश के मशहूर कवि नारायण अग्रवाल द्वारा रचित एक भजन जिसको फिल्म अभिनेत्री एवं सांसद हेमा मालिनी और नितिन मुकेश ने गाया है और अनूप जलोटा जी ने इसे संगीत बध किया है, जिसके बारे में आज सिविल लाइन्स के एक रेशटोरेंट में गीतकार कमल किशोर कमल, सिद्धार्थ सिंह तथा अपनी पत्नी की मौजूदगी में मीडिया के लोगों के सामने CD को अपने 75 वें जन्मदिन के अवसर पर साझा किया.
कवि नारायण अग्रवाल प्रयागराज में जन्मे है यहीं के निवासी है. यहीं से पढ़ाई लिखाई करके हिंदी में एम ए किया.’ मंच के आगे ‘ एकांकी लिखा जिसमें प्रथम आने पर प्रसिद्ध शायर फिराक गोरखपुरी व डॉक्टर राम कुमार वर्मा ने सम्मानित किया. पढ़ाई के दौरान स्काउट गाइड में सर्वश्रेष्ठ पदक मिलने पर तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत भी किया गया.
1984 में अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने लाने के लिए मुम्बई गए, जहाँ एक भजन संध्या में अनूप जलोटा जी भजन प्रस्तुत कर रहे थे. उस कार्यक्रम का मंच संचालन कवि नारायण अग्रवाल कर रहे थे और बीच – बीच में त्वरित छोटी – छोटी छडिकाए लिख कर बोलते रहे. जिसे सुनकर खूब तालियां बजने लगी. कार्यक्रम के बाद अनूप जलोटा जी ने नारायण जी से कहा कल आप हमारे घर आइये. आपकी छड़िकाए बहुत अच्छी है. उस दिन के बाद से अनूप जलोटा जी कवि नारायण के द्वारा लिखें भजन को पढ़ा और उनके लिखें भजनों का संकलन निकालने का प्रस्ताव नारायण जी को दिया नारायण जी के पहले भजनो की सीरीज में अनूप जलोटा जी ने तैयार किया, जिसमे नारायण जी को आज तक रॉयल्टी मिल रही है. यह संग्रह बहुत प्रसिद्ध हुआ.
कवि नारायण द्वारा लिखे गए भजन,दोहों एवं भक्ति गीतों की रचनाए भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी, पद्मविभूषण पंडित जसराज, पद्म विभूषण किशोरी अमोनकर, पद्म भूषण पंडित राजन साजन मिश्र, जगजीत सिंह,अनूप जलोटा, हरिओम शरण, रवीद्र जैन, मैथिली ठाकुर, नितिन मुकेश, सहित देश के तमाम गायकों ने इनके लिखें भजन गाए है.भारत रत्न बिस्मिल्लाह खान साहब ने इनके लिखे भजनों को अपने शहनाई में पिरो कर धुन बनाया है।इन्होने अब तक एक हजार पद काव्य लिखे है. अनूप जलोटा जी ने उनके लिखे लगभग तय तन पर डाले सांई तुम भगवान हो….., मैथिली ठाकुर अक्सर उनके भजन गाती हैं – सुख के घुंघरू बांध पैर में, आज शाम में नाचूंगी……
प्रयागराज में होने वाले 2025 के कुंभ के लिए भी भजनों की एक श्रृंखला तैयार कर रहे हैं।

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