रिपोर्ट चंद्र हास *बहुआयामी समाचार*
कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, घाटों पर दीप जलाकर मंदिरों में दर्शन किए।कार्तिक पूर्णिमा तिथि को पुराणों में स्नान, व्रत व दान की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। तकिया मेला में सरयू नदी के दो घाटो पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा था। मंदिरों में भक्तों ने मत्था टेका। वहीं तकिया सरयू घाट पर स्नान-दान का दौर चला। सुरक्षा को लेकर प्रशासन की टीम जगह-जगह तैनात रही। स्नान के लिए एक दिन पहले ही जुटान हो गई थी और शुक्रवार को भोर से ही लोगों ने स्नान शुरू किया तो अनवरत जारी रहा। स्नान के बाद लोगों ने मेले का आनंद लिया। स्नान के पश्चात फूल, माला, बताशा, नारियल, चुनरी, काली मिर्च, हलवा-पूरी, अगरबत्ती आदि गोमती मैया के चरणों में अर्पित कर पूजा-अर्चना किया। मेले में लोहे और लकड़ी के कृषि यंत्रों, खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन व चटपटे व्यंजनों तथा मिठाइयों की खूब खरीदारी हुई। इस दौरान आसपास के मंदिरों में घंट-घड़ियाल की गूंज होती रही। यहां स्नान का अलग ही महत्व है। ये है कार्तिक पूर्णिमा का महत्वकार्तिक पूर्णिमा तिथि को पुराणों में स्नान, व्रत व दान की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। भगवान विष्णु का पहला अवतार इसी दिन हुआ था। इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर असुर का संहार किया था। इसी तरह सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन गुरु नानक देव का जन्म हुआ था। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दीपदान का महत्व है।भक्तगण हेमंत वर्मा,नरेंद्र वर्मा,सुरेन्द्र वर्मा,संतोष वर्मा, हरी राम वर्मा।